चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है. नवजोत सिंह सिद्धू और सीएम चन्नी के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. सोमवार को सिद्धू ने चन्नी सरकार के सस्ती बिजली के फैसले की आलोचना कर दी, जिससे CM की नाराजगी खुलकर सामने आ गई. वहीं सिद्धू के अपनी ही सरकार के आलोचना करने से ये भी समझ में आ गया कि अभी भी पंजाब कांग्रेस में कलह बरकरार है. सिद्धू के आलोचना करने के बाद चरणजीत सिंह चन्नी ने एडवोकेट जनरल (AG) एपीएस देयोल का इस्तीफा नामंजूर कर दिया. सिद्धू के दबाव में ही एडवोकेट देयोल ने यह इस्तीफा दिया था. दिनभर मीडिया से दूरी के बाद एडवोकेट देयोल ने देर शाम इस्तीफे की बात को भी खारिज कर दिया.

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इधर लुधियाना से सांसद रवनीत बिट्‌टू ने भी सिद्धू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बिट्‌टू ने कहा कि किसी व्यक्ति की एक, दो, तीन या चार लोगों से न बने तो मानी जाती है, लेकिन हर व्यक्ति के साथ न बने, तो क्या कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि चुनाव का समय है और इस समय हमारे कार्यकर्ताओं को सही दिशा-निर्देश की जरूरत है. प्रचार के लिए कमेटियां बननी थीं, लेकिन कुछ नहीं हो रहा. सरकार और MLA काम कर रहे, लेकिन वर्कर इंतजार कर रहे हैं. सिद्धू को लेकर कांग्रेस पार्टी को आर या पार का फैसला लेना चाहिए.

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पंजाब के AG एपीएस देयोल का इस्तीफा दिल्ली में ही तय हो गया था. सिद्धू ने डीजीपी इकबालप्रीत सहोता के साथ एजी की नियुक्ति के विरोध में ही इस्तीफा दिया था. डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा और सीएम चरणजीत चन्नी के साथ मीटिंग करने के बाद राहुल गांधी ने इसकी सहमति दी. इसके बाद एडवोकेट देयोल ने खुद ही इस्तीफा दे दिया. इससे पहले ही वह सीएम से मिलते और औपचारिक घोषणा करते. सीएम ने सिद्धू के सरकार विरोधी बयान की वीडियो देख ली, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा लेने से इंकार कर दिया.