रायपुर। राज्य शासन ने सूखे के हालात में रबी मौसम 2017-18 के लिए विभिन्न फसलों के आधार एवं प्रमाणित बीजों की विक्रय दर में भारी कमी करते हुए किसानों को सौगात दी है. इससे रबी मौसम में दलहनी और तिलहनी फसलों की खेती करने वाले सूखा प्रभावित किसानों को राहत मिलेगी. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की मंशा के अनुरूप किसानों को राहत देने बीजों की विक्रय दर कम की गई है. छत्तीसगढ़ राज्य कृषि एवं बीज विकास निगम द्वारा रबी वर्ष 2017-18 के लिए प्रदाय किए जाने वाले विभिन्न फसलों के आधार एवं प्रमाणित बीजों की विक्रय दर में कमी करने के संबंध में परिपत्र जारी कर दिया गया है.
परिपत्र के अनुसार आगामी रबी मौसम के लिए मटर (अर्किल) के बीजों की दर में लगभग 46 प्रतिशत की कमी की गई है. पिछले साल इसके एक क्विंटल बीज की विक्रय दर 12 हजार रूपए थी. इस साल इस बीज की कीमत कम करते हुए प्रति क्विंटल 6 हजार 500 रूपए रखी गई है. पिछले साल की तुलना में मटर (अर्किल) के बीजों की प्रति क्विंटल दर में पांच हजार 500 रूपए की कमी की गई है. मसूर बीज की कीमत भी काफी घटाई गई है. इस रबी मौसम में मसूर बीज की दर साढ़े सात हजार रूपए प्रति क्विंटल रखी गई है जबकि पिछले साल इसकी दर दस हजार रूपए प्रति क्विंटल थी, अर्थात् मसूर बीज की दर प्रति क्विंटल ढाई हजार रूपए कम हो गई है.
आगामी रबी मौसम के लिए गेहूं (ऊंची किस्म) के बीज के लिए दो हजार 800 रूपए प्रति क्विंटल तथा गेहूं (बौनी किस्म) के बीज के लिए दो हजार 600 रूपए प्रति क्विंटल दर तय की गई है. पिछले साल इन किस्मों के बीजों की दर क्रमशः तीन हजार 200 तथा दो हजार 500 रूपए थी. चना बीज (15 वर्ष के अन्दर जारी) के लिए प्रति क्विंटल सात हजार 100 रूपए और चना (15 वर्ष के ऊपर) बीज के लिए प्रति क्विंटल आठ हजार 500 रूपए की नई दर निर्धारित की गई है. मटर की समस्त किस्मों के बीज आगामी रबी मौसम में चार हजार 100 रूपए प्रति क्विंटल की दर से प्रदाय किए गए. तिवरा की सभी किस्मों के बीजों की विक्रय दर पांच हजार 400 रूपए प्रति क्विंटल निर्धारित की गई है. सरसो बीज (15 वर्ष के अंदर जारी) के लिए चार हजार रूपए तथा मसूर बीज (15 वर्ष के ऊपर जारी) के लिए पांच हजार 100 रूपए की नई दर रखी गई है. कुसुम के दोनों किस्मों के बीज ( 15 वर्ष के अंदर और 15 वर्ष के ऊपर जारी) के लिए प्रति क्विंटल दो हजार 600 रूपए, अलसी बीज समस्त किस्मों के लिए प्रति क्विंटल दो हजार 600 रूपए तथा तोरिया समस्त किस्मों के बीजों के लिए प्रति क्विंटल छह हजार 500 रूपए की दर निर्धारित की गई है.
कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने अल्पवर्षा से बहुत ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को दलहनी-तिलहनी फसलों के बीजों के मिनीकिट प्राथमिकता के आधार पर तत्काल निःशुल्क उपलब्ध कराने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए है. अग्रवाल देर शाम यहां मंत्रालय में आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य कृषक कल्याण परिषद की समीक्षा बैठक में अधिकारियों से कहा कि मैदानी अधिकारियों से जल्द से जल्द रिपोर्ट प्राप्त कर मिनीकिट वितरण सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने कहा कि किसी भी क्षेत्र में बीज मिनीकिट की कमी होने या वितरण नहीं होने की शिकायत नहीं आनी चाहिए. इस संबंध में किसी भी प्रकार की शिकायत मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के उत्तरी क्षेत्र के जिलों मेें उद्यानिकी फसल ज्यादा ली जाती है. इन क्षेत्रों के किसानों को केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत उद्यानिकी फसलों के बीजों के मिनीकिट वितरण की व्यवस्था की जाए. उन्होंने इसके साथ ही मिनीकिट वितरण की नियमित समीक्षा करने के निर्देश दिए. अग्रवाल ने कहा कि अल्प वर्षा प्रभावित क्षेत्रों की जमीनों में उपलब्ध नमी को देखते हुए रबी मौसम की उक्त फसल बोने किसानों को प्रेरित किया जाए. उद्यानिकी संचालनालय के अंतर्गत संचालित प्लग टाइप सीडलिंग प्लांट से सब्जियों के पौधे अधिक से अधिक किसानों को उपलब्ध कराया जाए. सब्जियों के पौधे तैयार करने बीजों की व्यवस्था विभाग की ओर से होनी चाहिए.
अग्रवाल ने मछली पालन विभाग के अधिकारियों को हर विकासखंड में सौ-सौ किसानों को मछली पालन के लिए बीज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए. उन्होंने पशुपालन विभाग के अधिकारियों से कहा कि अल्प वर्षा प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करने अभी से कार्रवाई की जाए. उद्यमिता विकास योजना के तहत पांच जैविक जिलों में 250 डेयरी तथा 22 जैविक विकासखंड में 220 डेयरी शुरू करने के लिए पशुपालन किसानों को प्रोत्साहित किया जाए. अग्रवाल ने कहा कि सूखे की इस हालत में कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों को रबी मौसम के लिए उपयुक्त फसल बोने सुझाव दिया जाना चाहिए. अग्रवाल ने प्रदेश के सौ प्रगतिशील किसानों का चयन कर एकीकृत कृषि करने के लिए प्रोत्साहन देने की जरूरत है. इसके अंतर्गत अनाज, दलहन-तिलहन के साथ-साथ उद्यानिकी, पशुपालन और मछली पालन एक साथ की जाती है. अग्रवाल ने कृषि उपकरणों और मशीनों की खरीदी के लिए एक अप्रैल 2017 से शुरू हुई नई व्यवस्था में प्रगति लाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि सूखे के कारण वर्तमान में सिंचाई पम्पों, स्प्रिंकलर, ड्रिप सिस्टम उपकरण की मांग बढ़ेगी. कृषि उपकरण और मशीन खरीदने ऑनलाईन व्यवस्था की गई है. इस व्यवस्था को सुचारू ढंग से संचालित करने के लिए नियमित मॉनिटरिंग की जरूरत है. कृषि मंत्री ने अधिकारियों को रबी मौसम के लिए उर्वरकों की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए.