रायपुर। कुपोषण मुक्ति की दिशा में किए गए राज्य सरकार की ओर चलाए सुपोषण अभियान का असर ये हुआ है कि भारत सरकार ने देश के 115 आकांक्षी जिलों में से दंतेवाड़ा जिले को सिलवर स्कॉच अवार्ड दिया है। छत्तीसगढ़ को यह सम्मान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आर्थिक सलाहकार विवेक देवराय द्वारा प्रदान किया गया है। दंतेवाड़ा जिला प्रशासन की ओर से इस अवार्ड को जिला पंचायत दन्तेवाड़ा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सच्चिदानंद आलोक और आकांक्षी फैलो बसन्त कुमार ने ग्रहण किया। यह अवार्ड देश के 115 आकांक्षी जिलों की श्रेणी में सुपोषण अभियान को बेहतर ढंग से संचालित करने सहित उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने के लिये मिला है।
बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के साथ ही सुपोषण अभियान को कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा के मार्गदर्शन में दन्तेवाड़ा जिले में सबसे पहले प्रारंभ किया गया है। जिले में सुपोषण अभियान को ग्राम पंचायतों के माध्यम से महिला समूहों की सहभागिता से संचालित किया जा रहा है। जिले में कुपोषण और एनीमिया को जड़मूल से समाप्त करने के उद्देश्य से आरंभ इस महत्वाकांक्षी सुपोषण अभियान के जरिये अब लक्षित बच्चों और माताओं में आशातीत बदलाव आया है और मुख्य रूप से लो बर्थ वेट में आशाजनक वृद्धि हुई है, जो नवजात बच्चों में बढ़कर लगभग 3 किलोग्राम हो गया है। वहीं लक्षित बच्चों सहित माताओं तथा किशोरी बालिकाओं में हीमोग्लोबिन वृद्धि हुई है।
इसके साथ ही बच्चों की सेहत में सुधार हुआ है। जिले में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को सभी 124 ग्राम पंचायतों के अंतर्गत सुपोषण केन्द्रों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिये 25 हजार से अधिक बच्चों, किशोरी बालिकाओं सहित पोषक माताओं एवं गर्भवती माताओं को लाभान्वित किया जा रहा है। इस अभियान में व्यापक जनसहभागिता सुनिश्चित करने के लिये करीब 270 महिला समूहों की भागीदारी सुनिश्चित करने सहित आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, मितानिनों की सहभागिता सुनिश्चित किया गया है। इस अभियान के तहत सुपोषण केन्द्रों में लक्षित एक से 3 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों और पोषक माताओं एवं शालात्यागी किशोरी बालिकाओं को गर्म पौष्टिक भोजन सहित अंडा तथा गुड़-चना एवं मूंगफली का लड्डू प्रदान किया जा रहा है। वहीं आंगनबाड़ी केंद्रों पर 3 से 6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों तथा गर्भवती माताओं को गर्म पौष्टिक भोजन सहित अंडा तथा गुड़-चना एवं मूंगफली का लड्डू उपलब्ध कराया जा रहा है। इस महत्वाकांक्षी सुपोषण अभियान को शुरू करने के पूर्व लक्षित हितग्राहियों का स्वास्थ्य जांच कर बेसलाइन सर्वेक्षण किया गया और कार्यान्वयन के बाद फिर अब पुनः स्वास्थ्य जांच कर हितग्राहियों में हीमोग्लोबिन वृद्धि सहित सेहत सुधार का आंकलन किया जा रहा है।