रायपुर. छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व में में सोनू नामक वन हाथी को बन्धक बनाने के मामले में रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने वन विभाग के 3 अधिकारियों के विरूद्ध अभियोजन चलाने की अनुमति कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय को पत्र लिखकर मांगी है. सिंघवी ने बताया कि क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की धारा 197 के तहत संबंधित विभाग से लोक अधिकारी के विरुद्ध परिवाद दायर करने के पूर्व अनुमति लेना पड़ता है. इसी के साथ वन्यप्राणी सरंक्षण अधिनियम 1972 की धारा 55 के प्रावधानों तहत 60 दिनों का नोटिस भी जारी किया गया है. जो प्रावधानित करता है कि किसी व्यक्ति को अगर वन अपराध के तहत परिवाद दायर करना हो तो उसे केन्द्र या राज्य शासन को 60 दिन का नोटिस देना पड़ेगा.

गौरतलब है कि तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) छत्तीसगढ़ के बी.एन. द्विवेदी ने अचानकमार क्षेत्र में घूम रहे दंतेल हाथी को वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 11 के तहत पकड़ कर, उसकी डाक्टरी जांच करवा कर उसे हाथियों के उचित रहवास क्षेत्र में छोड़ने के आदेश दिनांक 20 अक्टूबर 2018 को जारी किये थे. बाद में 01 दिसम्बर 2015 को अचानकमार टाईगर रिजर्व के अधिकारियों ने हाथी को पकड़कर बंधक बना लिया गया. उस वक्त अचानकमार के योजना संचालक व मुख्य वन संरक्षक तपेश झा थे तथा उप संचालक अचानकमार टाईगर रिजर्व वी. माथेश्वरन थे. पकड़ने के बाद वन विभाग वालों ने उक्त हाथी को अचानक मार्ग टाइगर रिजर्व के क्षेत्र में रखा और उसका नाम सोनू रखा.

पकड़े जाने के तत्काल बाद में मोटी जंजीरों से जकड़े जाने तथा छूटने के प्रयास करने में उस वनहाथी को चारों पावों में अत्यन्त गंभीर चोटें आई तथा चारों पावों की हड्डियां तक दिखने लगी, सोनू को बचाने के लिए रायपुर निवासी नितिन सिंघवी द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. सोनू हाथी को पकड़े जाने तथा लगी गंभीर चोटों की फोटो देखने के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 24 घण्टे में सोनू को बचाने के लिये दायर की गई जनहित याचिका में सुनवाई की तथा सोनू को बचाने के लिये इलाज करवाने के निर्देश दिये. हाईकोर्ट के आदेश उपरांत भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने केरल से डाक्टरों की टीम भेजकर सोनू का इलाज करवाया.

सिंघवी ने आगे बताया कि भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने वन अधिकारियों के कृत्यों को पशु-निर्दयता निवारण अधिनियम का तथा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन बताते हुए दोषियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही करने की अनुशंसा करते हुए सोनू को ठीक होते ही वापस वन क्षेत्र में छोड़ने की अनुशंसा की परंतु अधिकारियों ने सोनू को बंधक बनाये रखा तथा विभाग प्रमुख, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को सोनू को बंधक बना कर रखने की पूर्ण जानकारी होने के बावजूद उन्होंने सोनू को वापस जंगल में भेजने हेतु कोई कार्य नहीं किया. वन विभाग ने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने की अनुशंसा के बावजूद वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने दोषियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की. सोनू अभी भी वन विभाग का बंधक हाथी है और उसे सरगुजा के तमोर पिंगला अभ्यारण के रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है.

सिंघवी ने आगे कहा कि दोषियों को सजा मिले, सोनू हाथी को बंधक बनाने के समान कोई घटना दोबारा ना हो तथा भविष्य में वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के विरूद्ध कोई कार्य न हो इसलिए सोनू हाथी को पकड़ कर दूसरे स्थान में छोड़ने के आदेश के बावजूद जबरन बंधक बनाकर रखे जाने के प्रकरण में कोर्ट में परिवाद दायर करने के पूर्व अभियोजन हेतु अनुमति प्राप्त करने हेतु उन्होने DoPT को आवेेदन दिया है.