शैलेन्द्र पाठक, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति और उनके द्वारा जांच के लिए गठित की गई एसआईटी व ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर छजकां प्रदेशाध्यक्ष अमित जोगी और धरमजीत सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता को याचिका संशोधित कर पेश करने का आदेश दिया है.

बुधवार को मामले में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई में महाअधिवक्ता कनक तिवारी ने प्रभारी डीजीपी की नियुक्ति पर शासन की तरफ से जवाब पेश किया. उन्होंने कहा कि यूपीएससी से अनुमोदन की के बाद डीजीपी के पद पर स्थाई नियुक्ति कर दिया है.

वहीं याचिका में प्रभारी डीजीपी डीएम अवस्थी द्वारा विभाग में किये गए ट्रांसफर पोस्टिंग के मामले में महाअधिवक्ता ने कहा कि पुलिस स्थापना बोर्ड की अनुशंसा पर ट्रांसफर किये गए हैं. जिस पर याचिकाकर्ता के वकील ने आपत्ति जताते हुए पुलिस स्थापना बोर्ड पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि सरकार ने पुलिस स्थापना बोर्ड में स्वतंत्र सदस्यों की नियुक्ति नहीं की है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से इसके दस्तावेज मांगे और याचिकाकर्ता को संशोधित याचिका पेश करने के लिए कहा.

इसके साथ ही अमित जोगी ने प्रभारी डीजीपी द्वारा किये गए एसआईटी गठन के मामले पर अमित जोगी की याचिका पर शासन ने आपत्ति की थी. जिसके बाद अमित जोगी के वकील अनूप मजूमदार ने नाम वापसी के लिए आवेदन दिया है. शासन ने इस पर आपत्ति की है. महाअधिवक्ता ने कहा कि इस पर जांच होना चाहिए. उन्होंने तर्क दिया कि अमित जोगी अंतागढ़ टेपकांड मामले में आरोपी हैं. मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 4 हफ्ते के बाद की तय की है.