Sita Navami 2023 : देशभर में आज 29 अप्रैल को सीता नवमी मनाई जा रही है. सीता नवमी (Sita Navami) वैखाश मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को पड़ता है. कहा जाता है कि इसी दिन मध्यकाल में पुष्य नक्षत्र में मां सीता प्रकट हुई थी और यही वजह है कि, इस दिन सीता नवमी मनाई जाती है. 

शास्त्रों में कहा गया है कि यदि कोई स्त्री पुरुष इस दिन माता सीता की पूजा कर लेता है, तो उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. इसके साथ ही अपनी माता के जीवन से किसी भी प्रकार का रोग और पारिवारिक कलह क्लेश को दूर करने के लिए भी यह दिन बेहद ही उपयुक्त माना गया है.

सीता नवमी का शुभ मुहूर्त (Sita Navami 2023 Shubh Muhurat)

उदयातिथि के अनुसार, सीता नवमी (Sita Navami) की तिथि की शुरुआत 28 अप्रैल यानी कल शाम 04 बजकर 01 मिनट पर शुरू हो चुकी है और इसका समापन 29 अप्रैल यानी आज शाम 06 बजकर 22 मिनट होगा. सीता नवमी का पूजन मुहूर्त सुबह 10 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. यानी पूजन अवधि 02 घण्टे 38 मिनट की रहेगी. साथ ही आज रवि योग का निर्माण भी होने जा रहा है जो दोपहर 12 बजकर 47 मिनट से सुबह 05 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. 

सीता नवमी का महत्व (Sita Navami 2023 Significance)

सीता नवमी (Sita Navami) के दिन वैष्णव लोग मां सीता और प्रभु श्री राम की पूजा करते हैं. साथ ही व्रत भी रखते हैं. कहा जाता है इस दिन की पूजा करने से दान करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है. इसके अलावा सुहाग की लंबी आयु व संतान प्राप्ति, घर में कलह क्लेश को दूर करने, निरोगी जीवन इत्यादि के लिए सीता नवमी के दिन की जाने वाली पूजा बेहद ही फलदाई होती है.

इसके अलावा सीता नवमी (Sita Navami) के दिन पूजा पाठ करने के बाद दान अवश्य करें. हिंदू धर्म में प्रत्येक पूजा व्रत के बाद दान किया जाता है. ऐसे में मान्यता है कि, सीता नवमी के दिन दिया जाने वाला दान कन्यादान और चार धाम तीर्थ यात्रा के समान फलदाई होता है.

सीता नवमी पूजन विधि (Sita Navami 2023 Pujan Vidhi)

इस दिन सुबह जल्दी स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं. व्रत करना चाहते हैं तो दीपक जलाने के बाद व्रत का संकल्प लें. सीता नवमी (Sita Navami) के दिन व्रत किया जाए तो व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है. इसके बाद पूजा वाले स्थान पर देवी-देवताओं को गंगाजल से स्नान कराएं. मां सीता और भगवान राम का ध्यान करें.

इस दिन की पूजा में भगवान राम के साथ मां सीता की आरती अवश्य करें. पूजा में भोग शामिल करें. हालांकि भोग में इस बात का ध्यान रखना बेहद अनिवार्य है कि, वह केवल सात्विक भोजन का ही लगाया जाता है. इसके अलावा यदि आप भोग में कोई मीठी वस्तु से शामिल करते हैं, तो यह बेहद शुभ होता है. इसके अलावा इस दिन की पूजा में चावल, धूप, दीप, लाल रंग के फूल, सुहाग की सामग्री अवश्य शामिल करें. 

सीता नवमी कथा (Sita Navami Katha)

मिथिला राज्य में बहुत लंबे समय तक वर्षा नहीं हुई, जिसके कारण वहां की प्रजा तथा वहां के राजा जनक बहुत चिंतित थे. तब राजा जनक ने ऋषियों से इस समस्या का समाधान पूछा तो उन्होंने राजा जनक को बताया कि यदि वे स्वयं हल चलाएं तो इंद्रा देवता बहुत प्रसन्न होंगे और राज्य में वर्षा होने लगेगी. ऋषियों के सुझाव के मुताबिक राजा ने स्वयं हल चलाना शुरू किया. हल चलाने के दौरान उनका हल एक कलश से टकराया, जिसमें एक बहुत सुंदर बच्ची थी.

राजा जनक निःसंतान थे, इसलिए उस बच्ची को देखकर वे बहुत खुश हुए और उन्होंने उस बच्ची को अपना लिया और अपने घर ले आए. राजा ने उस बच्ची का नाम रखा सीता. जिस दिन राजा जनक को वह प्यारी सी बच्ची सीता मिली थी, वह वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी. तभी से इस दिन को सीता नवमी (Sita Navami) या जानकी नवमी के नाम से मनाया जाने लगा.