सत्या राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ के 16 हजार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) कर्मचारी अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले छह दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डटे हुए हैं। राजधानी रायपुर के तूता धरना स्थल पर आंदोलन जारी है। कर्मचारियों ने आज हवन और सुंदरकांड का आयोजन कर सरकार और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को “सद्बुद्धि” देने की प्रार्थना की।

बता दें कि यह हड़ताल छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ के बैनर तले की जा रही है। आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक वे पीछे हटने वाले नहीं हैं।
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कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
- संविलियन/स्थायीकरण
- पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना
- ग्रेड पे का निर्धारण
- कार्य मूल्यांकन व्यवस्था में पारदर्शिता
- लंबित 27% वेतन वृद्धि
- नियमित भर्ती में सीटों का आरक्षण
- अनुकंपा नियुक्ति
- मेडिकल और अन्य अवकाश की सुविधा
- स्थानांतरण नीति
- न्यूनतम 10 लाख का कैशलेस चिकित्सा बीमा
कर्मचारियों का कहना है कि वे बीते दो दशकों से सेवा दे रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें स्थायित्व नहीं मिला है। इसलिए यह आंदोलन केवल उनके अधिकारों की लड़ाई ही नहीं, बल्कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था से भी जुड़ा हुआ है।
स्वास्थ्य सेवाएं हो रही प्रभावित
प्रदेशभर में 16 हजार एनएचएम कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हुए हैं, जिससे अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों की सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। ग्रामीण इलाकों में टीकाकरण, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएं, डिलीवरी केस, लेबोरेटरी जांच और आपातकालीन सेवाओं पर सीधा असर पड़ा है। मरीजों को उपचार के लिए घंटों भटकना पड़ रहा है और कई जगह निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।
ऐसे में अगर हड़ताल लंबी चली तो प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सकती है। वहीं, सरकार की चुप्पी और बातचीत में ठोस पहल न होने से कर्मचारियों में आक्रोश और बढ़ता जा रहा है।
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