अभिषेक मिश्रा, धमतरी। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के कुरुद इलाके में भारत माला सड़क बना रहे ठेकेदार ने बिना अनुमति के 1 हज़ार से ज्यादा पेड़ो को जड़ से उखाड़ दिया. उखाड़े हुए ज्यादातर पेड़ चोरी हो चुके हैं. वन विभाग ने इस मामले में एक ट्रक लकड़ी और जेसीबी जब्त किया, तब पूरा मामला सामने आया है. हैरानी की बात है कि इतना बड़ा खेल हो गया और न कुरुद एसडीएम को खबर लगी न जिला प्रशासन को.

दरअसल, केंद्र सरकार की भारत माला प्रोजेक्ट के तहत कई सड़कें बन रही हैं. इनमें से एक सड़क धमतरी जिले के कुरुद इलाके से गुजर रही है. जो राजधानी रायपुर को विशाखापटनम से जोड़ेगी. सड़क निर्माण का काम ठेके पर दिया गया है, जिन गांवों से होकर सड़क गुजरेगी. वहां रास्ते में आने वाले बड़े छोटे पेड़ों और वृक्षों को भी हटाना होता है. इसके लिए भी अलग से अनुमति की जरूरत होती है. अगर पेड़ वन भूमि पर है तो वन विभाग अनुमति देता है.

अगर राजस्व की भूमि पर हो तो कलेक्टर से अनुमति लेनी होती है. अनुमति कहीं से भी लिया जाए. पेड़ों को काटने या उखाड़ने का काम वन विभाग अपनी निगरानी में करवाता है और उनका हिसाब भी रखता है.

धमतरी डीएफओ मयंक पांडेय ने बताया कि धमतरी कलेक्टर ने वन विभाग को इन पेड़ों को काटने की अनुमति भी दे रखी थी, लेकिन इससे पहले की वन विभाग अपनी कार्रवाई शुरू करता कुरुद इलाके में इन तमाम कायदों को दरकिनार रखकर ठेकेदार ने 1 हज़ार 77 पेड़ पर अपनी जेसीबी लगवा कर उखड़वा दिए. उखड़े हुए पेड़ों को मौके पर ही छोड़ दिया. वो पेड़ अब वहां नहीं हैं या तो उन्हें बेच दिया गया है या वो चोरी हो गए.

ये सारा मामला तब सामने आया जब… वन विभाग ने यहां की लकड़ी के अवैध परिवहन के मामले को पकड़ा, क्योंकि सारी गड़बड़ी राजस्व की जमीन पर हुई है. इसलिए वन विभाग ने अपने स्तर की कार्रवाई के बाद सारे डिटेल सहित दस्तावेज कुरुद एसडीएम को सौंप दिया है. इसकी जांच और कार्रवाई का जिम्मा राजस्व विभाग का है. पर हैरानी की बात है कि 1 हज़ार से ज्यादा पेड़ जेसीबी लगा कर खुले आम उखाड़ दिए गए. न एसडीएम को इसकी भनक लगी और न ही धमतरी जिला प्रशासन को.

अब इस मामले में कुरुद के राजस्व अधिकारी सवालों का सामना करने से बच रहे हैं. आने वाले दिनों में देखना होगा कि राजस्व विभाग कब तक इस मामले की जांच करता है और क्या कार्रवाई करता है. गायब हुए पेड़ों की रिकवरी किससे की जाती है और किस अधिकारी को जिम्मेदार माना जाता है. बहरहाल वन विभाग की इस कार्रवाई के बाद ये मामला अब उजागर जरूर हो चुका है.

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