एक साल में आठ हजार से अधिक सांप पकड़ चुके स्नैकमैन के नाम से मशहूर हो चुके पेंड्रा के रहने वाले द्वारिका प्रसाद कोल ने एक और साहसिक कारनामा कर दिखाया है और दुनिया में तेजी से विलुप्त हो रहे रसेल वाईपर प्रजाति के सांपों का अलग अलग स्थानों से पकड़कर जोड़ा बनाया और अब इस जोड़े ने 21 संपोलों को जन्म दिया है और कौतुहलवष लोगों की भीड़ उमड़ रही है। तस्वीर में दिखाई दे रहे सांप के बच्चे जगर्रा नाम से स्थानीय बोली में जाने जाने वाले सांप की प्रजाति के हैं। जिनका वैज्ञानिक नाम रसेल वाईपर है। इसको डाबोया भी बोलते है। रसेल वाइपर (दबोइया रसली) विषम सांप की एक प्रजाति है। ये एशिया में पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाते हैं साथ ही दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिणी चीन और ताइवान के अधिकांश इलाकों में भी पाये जाते रहे है। इन प्रजातियों को पैट्रिक रसेल एक स्कॉटिश हेल्पोपोलिजिस्ट जो पहले भारत के कई सांपों का वर्णन करता था, के सम्मान में नामित किया गया था इसका नाम हिंदी शब्द से है जिसका अर्थ है छिपा हुआ है । दबोइया रसेली को सामान्यतः रसेल वाइपर और चेन वाइपर के नाम से जाना जाता है,  भारतीय उपमहाद्वीप में, इसे हिंदी, पंजाबी, और हिंदी में डबौआ के नाम से जाना जाता है।

स्थानीय निवासी द्वारिका प्रसाद कोल ने कुछ दिनों पहले सूचना पर एक घर में छिपे नर प्रजाति के सांप को पकड़ा बाद में अमरकंटक के पोंड़की स्थित यूनिवर्सिटी परिसर से इसकी मादा प्रजाति के सांप मिली दोनों को मेटिंग कराने के बाद इन्होने 21 सांपों को जन्म दिया जिनमें से एक की मौत कुछ देर बाद ही हो गयी जबकि 20 एकदम स्वस्थ और जीवित है। सर्प एक्सपर्ट द्वारिका बतलाते हैं कि इस प्रजाति के सांप अंडे नहीं सीधे बच्चे को जन्म देते हैं और इनकी संख्या काफी घट रही है और आज जब इतनी बड़ी संख्या मे बच्चों को जनम दिया तो अब वे सभी को षीघ्र ही दूर के जंगल में आबादी विहीन इलाके में छोड़ आएंगे। सांपों के बच्चों को देखने के लिये काफी संख्या में लोग द्वारिका के घर पहुंच रहे हैं….

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