ट्रेंडिंग/वायरल. म्यांमार के इस मंदिर में सांपों को निर्वाण की प्राप्ति होती है. जिस तरह से सदियों पहले भगवान बुद्ध को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी. कुथ वैसी ही तर्ज पर इस मंदिर में सांपों को निर्वाण की प्राप्ति होती है.
यांगून. म्यांमार के यांगून शहर में एक झील के बीचोंबीच एक बौद्ध मंदिर बना है. इस मंदिर की खासियत ये है कि यहां पर श्रद्धालु अपनी मनोकामना मांगने आते हैं और साथ में उनकी एक अनोखी परंपरा भी होती है. वे अपने साथ सांपों को पकड़कर यहां लाते हैं और उसे मंदिर में छोड़ आते हैं. लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उनकी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. स्थानीय लोगों के द्वारा इस मंदिर को स्नेक टेंपल (सांपों का मंदिर) नाम दिया गया है.
एक स्थानीय ने बताया कि यहां पर नियम ये है कि लोगों को मंदिर में बस एक ही चीज मांगनी होती है, एक से अधिक नहीं. लालची नहीं होना है. मंदिर के मुख्य कमरे में एक पेड़ है जहां भगवान बुद्ध की प्रतिमा है. यहीं पर फर्श पर पड़े सांप पेड़ की शाखाओं से होते हुए उपर की तरफ चढ़ते हैं. ये सांप भी ऐसे वैसे नहीं होते हैं ये खतरनाक अजगर या फिर वैसे ही जहरीले सांप होते हैं. मान्यता है कि ये सांप उन्हें आशीर्वाद देते हैं.
मंदिर में दर्जन भर से अधिक सांप हमेशा रहते हैं, ये फर्श पर, खिड़कियों पर दरवाजों पर कहीं भी रेंगते रहते हैं. वहां आने वाले लोग उनकी उपस्थिति में ही मंदिर में प्रार्थना करते हैं. कई-कई सांप तो दो से तीन मीटर तक लंबे होते हैं. 45 वर्षीय विन मिंट ने कहा कि ‘मैं बचपन से इस मंदिर में आते रहे हैं. मैं अब बूढ़ा हो चुका हूं और मैं यहां प्रार्थना करने आय़ा हूं. मेरी कई मनोकामनाएं पूरी हुई है.’ वहीं पास में ही एक बौद्ध भिक्षु एक कुर्सी पर बैठा हुआ है जिसके पैरों में दो सांप लिपटे हुए हैं.
आपको बता दें कि दक्षिणपूर्व एशिया के कई देशों में ऐसे मंदिर है जहां नागा (सांप का संस्कृत शब्द) का काफी महत्व है. यहां के कई मंदिरों में प्रवेश द्वार पर पत्थर के सांप रखे होते हैं जो यहां की पहचान होती है. लेकिन किसी मंदिर में जीवित सांपों का होना वह भी इतनी संख्या में अपने आप में दुर्लभ है.
मंदिर में वहीं पास में ध्यान कर रहे एक बौद्ध भिक्षु के उपर लिपटे हुए सांपों को देखकर सदियों पुराने उन महात्मा बुद्ध की याद आ जाती है जो पेड़ के नीचे बैठ कर ध्यान करते थे. माइथोलॉजी के अनुसार, जब भी बारिश होती थी तब नाग भगवान बुद्ध के सिर के उपर अपना फन फैलाकर खड़ा हो जाता था ताकि बारिश से उनकी रक्षा हो सके.
30 वर्षीय किसान का मानना है कि खेतों में पाए जाने वाले सांपों को मारने के बजाए अगर वह मंदिर में लाकर उन्हें छोड़ देता है तो उसे इसका पुण्य मिलेगा. बुद्धिज्म के मुताबिक सभी प्राणी एक समान है और किसी की हत्या करना पाप है. किसान का कहना है कि मैं किसी भी प्राणी को मारकर अपने साथ दुर्भाग्य नहीं लाना चाहता हूं. सांपों को पकड़कर यहां डोनेट करके मुझे पुण्य मिल रहा है.