दिलशाद अहमद, सूरजपुर. शक्ति की भक्ति के पर्व नवरात्र में देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. भक्तजन अपनी मनोकामना के साथ मंदिर में दर्शन करने पहुंच रहे हैं. नवरात्रि के सातवे दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है. इस बीच छत्तीसगढ़ के सूरजपूर के एक मंदिर में दुर्लभ और रोचक घटना हुई है. दरअसल, कुदरगढ़ देवी धाम में आरती के दौरान नाग निकल आया. श्रद्धालु इस घटना को आस्था से जोड़कर देख रहे हैं.

सूरजपूर के कुदरगढ़ी देवी मंदिर में अन्य दिनों की तरह मुख्य पुजारी बैगा आरती माता की कर रहे थे. इस दौरान उन्हें चरण कुंड के पास उन्हें कुछ हरकत महसूस हुई. इसके बाद पुजारी ने जाली हटाकर देखा तो उसमें से नाग निकल कर बाहर आ गया. हालांकि उसने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया.

आरती के दौरान नाग का निकलना लोग के लिए कौतूहल के साथ आस्था का भी विषय बन गया है. लोगों का मानना है कि यह द्दश्य नवरात्र पर्व के दिखना शुभ संकेत हैं. बता दें कि भगवान शिव के गले में सर्प विराजमान रहते हैं.

इसे भी पढ़ें : Chaitra Navratri 2025: यहां एक दशक से चैत्र नवरात्रि पर देवी की प्रतिमा स्थापित कर रामलीला का करते हैं मंचन, सीता स्वयंवर प्रसंग में कलाकारों ने दी शानदार प्रस्तुति

कुदरगढ़ मंदिर : एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल

सूरजपुर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर, ओडगी विकासखंड स्थित कुदरगढ़ का मां बागेश्वरी देवी मंदिर हिंदू धर्म का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यह मंदिर लगभग 1500 फीट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को करीब 900 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. सीढ़ियों से मंदिर तक के मार्ग में तीर्थयात्रियों को मनमोहक जलप्रपात (वॉटरफॉल) का दृश्य भी देखने को मिलता है. इस क्षेत्र के अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थलों में राजा बालम का किला, पहाड़ी से गिरती सूरजधारा जलधारा और विजय कुंड शामिल हैं. 

क्वार और चैत्र नवरात्रि के दौरान, इस मंदिर में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि देश के विभिन्न राज्यों से भक्त यहां अपनी आस्था प्रकट करने आते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां बागेश्वरी देवी की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. नवरात्रि के अवसर पर यहां दस दिनों तक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जिससे यह स्थान और भी आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक रूप से समृद्ध हो जाता है. चारों ओर से घने जंगलों और ऊंची पहाड़ियों से घिरा यह मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि प्राकृतिक दृष्टि से भी अत्यंत मनमोहक है.