मनोज उपाध्याय, मुरैना। मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में एक स्कूल ऐसा हैं जहां विद्यार्थी नहीं बल्कि सांप-बिच्छुओं का बसेरा। जहरीले जीव-जंतुओं के कारण विद्यार्थी तो क्या शिक्षक भी स्कूल भवन में जाने से कतराते हैं। स्कूल भवन में जाना मतलब मौत को दावत देना है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण स्कूल भवन के भीतर कमरों में बने सांप की बांबी है। जहरीले सांप पूरे स्कूल परिसर में स्वच्छंद विचरण करते रहते हैं। भवन भी इतना जर्जर है कि कभी भी छत का प्लास्टर भरभराकर गिर जाता है। दीवारों में जगह-जगह छेद हो गए हैं जहां पर भी सांपों का अड्डा है। इसी जहरीले डंक वाले बिच्छु भी घूमते रहते हैं।

मामला जिले के सबलगढ़ विकाखंड के छोटी रूनघान खालसा गांव का है। जहां बच्चे तो क्या शिक्षक भी पांव रखने से डरते हैं। स्कूल भवन के भीतर सांप की बांबी बनी है। बांबी से निकलकर सांप स्कूल के कक्षाओं, बरामदा सहित पूरे परिसर में विचरण करते रहते हैं। दूसरी तरफ स्कूल में पढ़ रहे 122 बच्चे स्कूल भवन के बाहर पेड़ों के नीचे बैठकर पढऩे को मजबूर हैं। सांप-बिच्छुओं का बसेरा बन चुके इस स्कूल भवन से बच्चे ही नहीं उनके माता-पिता भी डरे हुए हैं। स्कूल के पूरे छात्र कभी भी पढऩे नहीं आते है। किसी दिन 30 तो किसी दिन 50 बच्चे पढऩे आते हैं। कई बार ऐसा होता है कि बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल के शिक्षकों को घर-घर जाकर उन्हें बुलाना पड़ता है। केवल सांप-बिच्छू ही नहीं स्कूल की जर्जर भवन भी डरावनी है। कभी भी छत या दीवार का प्लास्टर गिर जाता है।

स्कूल में नहीं टायलेट
इस स्कूल में शौचालय तक नहीं है। बच्चे खुले में टॉयलेट जाने को मजबूर हैं। स्कूल के बच्चे अब पढऩे के लिए नए स्कूल भवन की मांग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कर रहे हैं। गुरुवार की सुबह स्कूल लगा तो बच्चे हाथों में तख्ती लेकर मामा शिवराज से नए स्कूल भवन की गुहार करते दिखाई दिए।

शिवराज मामला से गुहार
जर्जर भवन और विषैले जीवों का घर बन चुके स्कूल भवन से बच्चे भी डरे हुए हैं। मुख्यमंत्री मामा शिवराज से नए स्कूल भवन की गुहार लगा रहे हैं। कक्षा पांचवीं के छात्र राघवेन्द्र का कहना है कि स्कूल में सांप, बिच्छू घूमते हैं। दीवार-छतों से कभी भी प्लास्टर भरभरकार गिर जाता है। छत कब गिर जाए कोई नहीं जानता। स्कूल के भीतर जाने से डर लगता है।

पेड़ के नीचे बैठाकर पढ़ाने की मजबूरी
शिक्षक दुर्गेश शर्मा ने बताया कि स्कूल भवन में सांप की बांबी व सांप-बिच्छू के घर हैं। स्कूल में टायलेट नहीं है, पूरा भवन जर्जर हालत में हैं। विषैले जीवों के डर से स्कूल में बच्चे पढऩे नहीं आते। बच्चों को घर से बुला-बुलाकर लाते हैं और उन्हें स्कूल के बाहर पेड़ के नीचे बैठाकर पढ़ाते हैं।

बारिश और ठंडी में स्कूल बंद
ग्रामीण राजेन्द्र शर्मा बताते हैं कि सालों से स्कूल भवन जर्जर है। स्कूल की दीवार व छत से कभी कंाक्रीट तो कभी प्लास्टर गिरता है। बच्चों को इसमें बैठाने से डर लगता है। बच्चों को छोडऩे व लेने आना पड़ता है। बच्चों को बाहर पेड़ के नीचे बैठाकर मजबूरी में पढ़ाना पड़ता है। बारिश या अधिक सर्दी व गर्मी में बच्चों की पढ़ाई मुश्किल हो जाती है।

उचित कार्यवाही की जाएगी
जिला शिक्षा अधिकारी सुभाष शर्मा ने कहा कि उन्हें स्कूल की इस समस्या के बारे में किसी ने कभी कुछ नहीं बताया। ग्रामीण ने ऐसी शिकायत की है कि स्कूल में सांपों की बांबी है। बच्चे बाहर पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि जो उचित कार्रवाई होगी वह तत्काल करवाई जाएगी।

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