भुवनेश्वर. हिन्दू धर्म में यह किवदन्तियां और कहानियां प्रचलित हैं कि प्राचीन मंदिरों सांप खजाने की रक्षा करते हैं. कई सालों तक बंद रत्न भंडार कक्ष के बाहर विषैले सांपों की फुंकार सुनाई देने की भी बात कही जाती है. ऐसे में बीते दिन 14 जुलाई को जब ओडिशा के पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर का दरवाजा 46 साल बाद खोला गया तो सरकार ने पहले से ही एक्सपर्ट सपेरों और डॉक्टरों की टीम बुलाई थी, जिससे कोई अप्रीय घटना होने पर तत्काल इलाज किया जा सके.
आपको बता दें, ओडिशा के पुरी में स्थित 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के ‘रत्न भंडार’ में जमा संपत्ति के डिजिटल लिस्टिंग के लिए सरकार ने 46 साल बाद दरवाजे खोले. दरवाजा खोलने से पहले यह डर था कि कहीं खजाने की रक्षा करने वहां सांप ना हो. इसलिए पहले से ही बंदोबस्त कर रखे थे. लेकिन जब दरवाजा खुला और 11 लोगों की टीम ने अंदर जाकर सर्वे किया, तो वहां कोई सांप मौजूद नहीं था.
रत्न भंडार गृह के दरवाजे खोलने के बाद सदियों से चली आ रही किवदंतियां और कहानियां महज कहानियां ही साबित हुई. हालांकि मंदिर समिति के सदस्यों और भक्तों को कहना है कि वहां सांप इसलिए नहीं मिला क्योंकि रत्न भंडार गृह को खोलने से पहले विधि विधान से पूजा अर्चना कर भगवान और खजाने की मालकिन माता बिमला, माता लक्ष्मी और कोषागार के देखभाल करने वाले भगवान लोकनाथ की मंजूरी ली गई. इस वजह से वहां पर किसी प्रकार के सांप या जीव देखने को नहीं मिले.
वहीं पुरी कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा कि जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के अंदर हमें न तो कोई सांप और कीड़े-मकोड़े मिले या न ही कोई रेंगने वाले जानवर मिले. हालांकि, अफसरों को भी डर था कि रत्न भंडर के अंदर सांप हो सकते हैं. यही वजह है कि रत्न भंडार में सांप होने की आशंका को देखते हुए सरकार ने स्नेक हेल्पलाइन के 11 सदस्यों को तैनात किया था. तीन सदस्य किसी भी आपात स्थिति से निपटने और अंदर जाने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रत्न भंडार के बाहर तैनात थे. इतना ही नहीं, पुरी जिला अस्पताल को एंटीवेनम स्टॉक में रखने को कहा गया था.
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