नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी को हुई भगदड़ में 18 लोगों की मौत के बाद, व्यवस्था को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं. जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की मांग हो रही है क्योंकि ऐसी घटना पहली बार नहीं हुई है. इससे पहले दो बार भगदड़ हुई, जिसमें सात लोगों की मौत और 16 लोग घायल हुए थे. हैरानी की बात यह है कि रेलवे पुलिस ने अनट्रेस रिपोर्ट दाखिल कर मामले की जांच को स्थायी रूप से रोक दिया.

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छठ पर्व पर भीड़ बढ़ने से भगदड़ हुई: जीआरपी के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि 13 नवंबर 2004 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लैटफॉर्म संख्या 2-3 पर भगदड़ हुई, जिसमें 5 महिलाओं की मौत और 10 लोग घायल हो गए. हादसे में बुजुर्ग राजीव कुमार, जो बठिंडा जा रहे थे, की पत्नी भी मर गई. बुजुर्ग की शिकायत पर पुलिस ने लापरवाही से मौत की धारा में मुकदमा दर्ज किया था, जो दो साल बाद एक मार्च को जांच अधिकारी ने कोर्ट में अनट्रेस रिपोर्ट दाखिल की. यहां तक कि रेलवे को अपनी जांच में किसी का पता नहीं चला.

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प्लैटफॉर्म बदलने पर हुआ हादसा: 16 मई 2010 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लैटफॉर्म संख्या 12-13 पर बिहार जाने वाली विक्रमशिला एक्सप्रेस के यात्री जमा हो रहे थे, जब ट्रेन के प्लैटफॉर्म बदलने की सूचना दी गई और भगदड़ हुई, जिसमें दो लोग मारे गए और छह घायल हुए.

हादसे में घायल यमुना मंडल ने पुलिस को शिकायत दी और लापरवाही से मौत की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया. लेकिन पूरी जांच में प्लैटफॉर्म बदलने की कोई पुष्टि नहीं हुई और रेलवे और आरपीएफ की जांच रिपोर्ट से कोई सुराग नहीं मिला. इसलिए, हादसे के दो साल बाद नई दिल्ली रेलवे पुलिस ने जांच की अनट्रेस रिपोर्ट कोर्ट में सौंप दी.

क्या है अनट्रेस रिपोर्ट

पुलिस मामले की जांच के दौरान घटना के कारणों और जिम्मेदारों को पता लगाने में सफल नहीं होती तो अनट्रेस रिपोर्ट अदालत में दाखिल करती है.