प्रतीक चौहान. प्रदेश का सरगुजा धूम्रपान मुक्त जिला बनने की ओर अग्रसर है. राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत प्रदेश में विविध गतिविधियों के माध्यम से तंबाकू निषेध कानून (कोटपा एक्ट 2003) का सख्ती से पालन करने का प्रयास जारी है. इसी क्रम में सरगुजा जिले को धूम्रपान मुक्त जिला घोषित करने के लिए अध्ययन किया गया, जिसमें जिले के 95.7 प्रतिशत सार्वजनिक स्थानों पर कोटपा एक्ट की धारा 4 का पालन हो रहा है. इसकी जानकारी एम्स की टीम ने “कॉम्प्लियांस अध्ययन”की रिपोर्ट में दी है.

 सरगुजा को धूम्रपान रहित जिला घोषित किए जाने हेतु 22 से 24 जुलाई तक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की सर्वे टीम ने “कॉम्प्लियांस अध्ययन” किया. इसके अंतर्गत जिले के पांच ब्लॉक के सार्वजिनक स्थानों में सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम ( कोटपा) 2003, की धारा 4 के साथ-साथ धारा 5,6,7 के प्रावधानों का भी “कॉम्प्लियांस अध्ययन”कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है. संचालक स्वास्थ्य सेवाएं छत्तीसगढ़ नीरज बंसोड़ ने सरगुजा कलेक्टर को पत्र प्रेषित कर उक्त अध्ययन की जानकारी दी है, जिसके अनुसार धूम्रपान निधेष की धारा 4 के प्रावधानों का अनुपालन जिले के सार्वजनिक स्थानों में 95.7 प्रतिशत रहने की जानकारी शामिल है. साथ ही कलेक्टर के प्रयास की सराहना करते हुए संचालक स्वास्थ्य सेवाएं ने भविष्य में सिगरेट एवं अन्य उत्पाद अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन जिले में 100 प्रतिशत कराते हुए सरगुजा जिले को धूम्रपान मुक्त जिले के साथ-साथ तंबाकू मुक्त जिला बनाने में सहयोग की अपील भी कलेक्टर से की है.

राज्य नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन ने बताया राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश भर में लगातार अनेक जागरूकता कार्यक्रमों, प्रशिक्षणों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है. इनमें सभी जिलों के तम्बाकू नियंत्रण इकाई के नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं. सिविल सोसाइटी को ट्रेनिंग दिए जाने के साथ ही कोटपा एक्ट के पालन के लिए विभिन्न विभागों के समन्वयन के साथ कार्य किया जा रहा है. इसका परिणाम है कि सरगुजा जिला धूम्रपान मुक्त जिला बनने की ओर अग्रसर है. इस कार्य में जिला नोडल अधिकारी सरगुजा डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता सराहनीय योगदान दे रहे हैं.

जिले के 5 ब्लॉक में एम्स टीम ने किया अध्ययन – एम्स के 11 सदस्यों की टीम ने जिले के 5 ब्लॉक (अंबिकापुर, मैनपाट, लखनपुर, सीतापुर तथा उदायपुर) के लगभग 700  सार्वजिनक स्थानों में अध्ययन किया. जिनमें मुख्य रूप से स्कूल, सरकारी एवं निजी कार्यालयों, सरकारी (सीएचसी, पीएचसी, जिला अस्पताल) एवं निजी अस्पताल, विभिन्न होटल, ढाबा, टी स्टॉल, धर्मशाला और यात्री सराय, तंबाकू वितरण स्थान (दुकान एवं अन्य) शामिल रहे. टीम ने तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) 2003, की धारा 4 के साथ-साथ धारा 5,6,7 के प्रावधानों के अंतर्गत शामिल तंबाकू एवं तंबाकू युक्त पदार्थों की खरीद बिक्री समेत धूम्रपान आदि के पोस्टर, विज्ञापनों के प्रदर्शन का भी आंकलन किया.

“कॉम्प्लियांस अध्ययन कर दी गई यह जानकारी –  कोटपा अधिनियम 2003 की धारा 4 सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध का अनुपालन 95.7% पाए जाने,  धारा 5 तंबाकू उत्पादों का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष विज्ञापन का ना होना का अनुपालन 91.5%, कोटपा एक्ट की धारा 6(ए) (18 से कम उम्र द्वारा ना बेचा और ना ही खरीदा जाना) का अनुपालन 87.9% होने, धारा 6(बी) ,(शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पाद का विक्रय निषेध) का अनुपालन 93.1% तथा तंबाकू उत्पादों में वैधानिक चेतावनी का अनुपालन 85.9% पाए जाने की जानकारी दी गई है.