रायपुर. महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री अनिला भेंड़िया ने आज चंडीगढ़ के जिरकपुर में तंत्रिका पुनर्वास में सहायक तकनीक विषय (असिस्टिव टेक्नालॉजी इन न्यूरो रीहेब.) विषय पर आयोजित द्वितीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया. कार्यशाला का आयोजन इंडियन एसोसिएशन ऑफ असिस्टिव टेक्नालॉजी द्वारा किया गया. दो दिवसीय सम्मेलन में देश के चार सौ से अधिक विशेषज्ञों ने भाग लिया. भेंड़िया ने इस अवसर पर असिस्टिव टेक्नालॉजी के आधुनिक उत्पादों पर आधारित 40 से अधिक स्टॉलों का भी उद्घाटन किया.

कार्यशाला को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित करते हुए भेंड़िया ने कहा कि वर्ष 2030 तक भारत की लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या को किसी न किसी प्रकार के सहायक उपकरणों की जरूरत होगी. वर्तमान में सहायक उपकरणों के उत्पादन इकाईयों की कमी है. इसे देखते हुए आवश्यकता के आंकलन और नए उपकरणों के अनुसंधान की भी आवश्यकता है. उन्होंने इंडियन एसोसिएशन ऑफ असिस्टिव टेक्नालॉजी द्वारा दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों की आवश्यकतानुसार अनुसंधान एवं निर्माण हेतु किए जा रहे प्रयासों की सराहना की.

भेंड़िया ने सम्मेलन में छत्तीसगढ़ में दिव्यांगों के पुनर्वास के लिए किये जा रहे काम और योजनाओं के संबंध में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में दिव्यांगों को निःशुल्क सहायक उपकरण प्रदान करने तथा वयोश्रेष्ठ योजनातंर्गत वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी निःशुल्क उपकरण प्रदान करने की योजना लागू की गई है. प्रतिवर्ष लगभग दो हजार हितग्राहियों को लाभान्वित किया जाता है.

मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना के अंतर्गत कॉक्लिया इम्प्लांट की शल्यक्रिया के लिए 6 लाख तक की सहायता देने का प्रावधान किया गया है. उन्होंने बताया कि दिव्यांगों तथा वरिष्ठ नागरिकों के लिए मोटराईज्ड ट्रायसायकल तथा मोटराईज्ड स्कूटी प्रदान करने की भी योजना है. उन्होंने कहा कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे अनुसंधानों तथा उत्पादनकर्ताओं का अंतराष्ट्रीय सेमीनार आयोजित किया जाना चाहिए. जिससे विश्व में हो रहे नवाचारों की जानकारी हो सके. सेमीनारों के माध्यम से हितग्राहियों को उनके आवश्यकता के अनुरूप उपकरणों की पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए. इस अवसर पर भारतीय पुनर्वास परिषद के सदस्य सचिव डॉ. सुबोध कुमार और स्पाईनल कार्ड सेंटर के डॉ. आशीष मुखर्जी सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे.