रायपुर. 14वीं लोकसभा के अध्यक्ष रहे और 10 बार सांसद चुने सोमनाथ चटर्जी के निधन के बाद राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह समेत कई बड़े नेताओं ने श्री चटर्जी के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है.

वे काफी समय से बीमार चल रहे थे और उनका डायलिसिस किया जा रहा था. रविवार को दिल का हल्का दौरा पड़ा था जिसके बाद उनकी स्थिति और बिगड़ गयी. कोलकाता के एक निजी अस्पताल के एक चिकित्सक ने बताया कि गुर्दे संबंधी समस्या से जूझ रहे चटर्जी को मंगलवार को गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पिछले महीने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष को मस्तिष्काघात के बाद अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. पिछले 40 दिनों से चटर्जी का उपचार चल रहा है. स्वास्थ्य में सुधार के संकेत मिलने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली थी लेकिन मंगलवार को हालत बिगड़ने के बाद उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. छत्तीसगढ़ कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने भी पूर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी के देहांत को भारत के लिए दुखदाई बताया है.

सोमनाथ चटर्जी से जुड़ी खास बातें और नेताओ के ट्वीट

  1. सोमनाथ चटर्जी का जन्म 25 जुलाई 1929 को असम के तेजपुर में हुआ था. उनके पिता का निर्मल चंद्र चटर्जी और मां का नाम वीणापाणि देवी था. सोमनाथ चटर्जी के पिता अखिल भारतीय हिंदू महासभा के संस्थाकों में से थे एक थे और पेश से वकील थे.
  2. सोमनाथ चटर्जी ने कोलकाता और ब्रिटेन में पढ़ाई की. ब्रिटेन के मिडिल टैंपल से लॉ की पढ़ाई करने के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट वकील हो गये. लेकिन इसके बाद उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया. वह एक प्रखर वक्ता के तौर पर  लोगों की नजरों में आ चुके थे.
  3. सोमनाथ चटर्जी का राजनीतिक जीवन विरोधाभाषों के साथ शुरू हुआ. उनके पिता जहां दक्षिणपंथी राजनीति से थे तो सोमनाथ ने करियर की शुरुआत सीपीएम के साथ 1968 में की.

1971 में पहली बार वह सांसद चुने गये और फिर 10 बार लोकसभा के सांसद बने. राजनीति में सोमनाथ चटर्जी एक बहुत ही सम्मान नेता के तौर पर देखा जाता है.

सोमनाथ चटर्जी की पत्नी रेणु चटर्जी का कुछ दिन पहले ही निधन हुआ है. उनके परिवार में एक पुत्र और दो पुत्रियां हैं.

1971 से सांसद चुने जाने के बाद वह हर लोकसभा के लिये चुने गये. साल 2004 में वह 10वीं बार लोकसभा के लिये चुने गये.

उन्होंने 35 सालों तक सांसद के तौर पर देश की सेवा की और 1996 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

साल 2004 में 14वीं लोकसभा के लिये उन्हें सभी दलों की सहमति से लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया.