रायपुर। आदिवासी नेत्री सोनी सोरी ने आखिरकार आम आदमी पार्टी को अलविदा कह ही दिया. उन्होंने शनिवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा प्रदेशाध्यक्ष कोमल हुपेंडी को सौंप दिया है. लंबे समय से उनके पार्टी छोड़ने के कयास लगाए जा रहे थे.

सोनी सोरी ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में कहा, “बस्तर में लगातार आदिवासियों के उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ती जा रही है. भाजपा सरकार में जो हो रहा था वह प्रदेश कांग्रेस की सरकार आने के बाद भी जारी है. ऐसे में आदिवासियों की लड़ाई लड़ने के लिए मैं निरंतर प्रयास कर रही हूं. मुझे किसी पार्टी का बैनर नहीं चाहिए.”

उन्होंने कहा, “मैं आदिवासियों के हक के लिए कहीं भी जाती थी तो पार्टी का बैनर आड़े आता था, जब उनके बीच जाती थी तो पार्टी से जुड़े होने की वजह से लोग इसे राजनीतिक मानते थे. अब मैं  सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में आदिवासियों की लड़ाई लड़ना चाहती हूं. इसलिए मैं ने पार्टी नेतृत्व को पत्र लिखकर बड़े ही सरल तरीके से अवगत करा दिया है.”

आपको बता दें सोनी सोरी आम आदमी पार्टी की आदिवासी महिला प्रकोष्ठ की प्रदेशाध्यक्ष थीं. साल 2016 में उनके ऊपर केमिकल अटैक हुआ था. जिसमें उनका चेहरा झुलस गया था उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. उस वक्त वो पार्टी में काफी सक्रिय थीं. इससे पहले सोनी सोरी पर नक्सली सहयोगी होने के आरोपों के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था. बाद में वे जमानत पर रिहा हो गई थी. बाद में वे आम आदमी पार्टी में शामिल हो गई और साल 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के टिकट पर वे बस्तर लोकसभा से चुनाव लड़ी थीं. हालांकि वो चुनाव हार गई थीं.