नई दिल्ली। दिल्ली की अदालत ने एक बेटे-बहू को याचिका पर विचार करने के बाद अपने माता-पिता का घर खाली करने के लिए कहा है, जिसमें मां ने आरोप लगाया था कि उसका बेटा उनकी सहमति के बिना घर में रहने के लिए एक कुत्ता लाया है. याचिका में उल्लेख किया गया है कि वह (बेटा) इस कुत्ते का इस्तेमाल शिकायतकर्ता (मां) को अपने ही घर में असहज करने के लिए कर रहा था. उसे सांस लेने में समस्या हो गई थी और उसका बेटा कुत्ते को उस पर हमला करने के लिए उकसाता रहता था. इस तरह से शिकायतकर्ता ने पीडब्ल्यूडीवी अधिनियम (घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005) प्रतिवादी को परिसर से वंचित करने के लिए एक याचिका दायर की.

ये भी पढ़ें: स्वतंत्रता दिवस पर आतंकी साजिश का अलर्ट, ड्रोन, IED समेत इन तरीकों का आतंकवादी कर सकते हैं इस्तेमाल

माता-पिता हैं कई बीमारियों से पीड़ित

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुल वर्मा ने प्रतिवादी (दंपति) को एक सप्ताह के भीतर सरिता विहार स्थित घर के परिसर को खाली करने का आदेश दिया. न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि माता-पिता को विभिन्न बीमारियों से पीड़ित बताया गया है और प्रतिवादी बेटे के कारण तनाव केवल उनके संकटों को बढ़ा रहा है. विडंबना यह है कि विवाद की हड्डी कुत्ता ‘लव’ भी है. मां ने बताया कि वह सांस की बीमारियों से पीड़ित है और कुत्ते की उपस्थिति से उसकी परेशानी बढ़ गई है. कुछ लोग कुत्ते के प्रेमी होते हैं, जबकि कुछ को घृणा हो सकती है और यहां तक कि उनकी उपस्थिति से भी घृणा हो सकती है. ऐसे में प्रार्थना कक्ष या किचन में कुत्ते की घुसपैठ मां के लिए चिंताजनक हो सकती है.

ये भी पढ़ें: देश का सबसे बड़ा तिरंगा बनाएंगे दिल्ली के हजारों बच्चे, 4 अगस्त को एक जगह होंगे जमा, भारत को सर्वश्रेष्ठ और शक्तिशाली राष्ट्र बनाने का लेंगे प्रण

बेटे-बहू के घर में प्रवेश पर पूरी तरह से रोक

आदेश में कहा गया है कि इसके अलावा प्रतिवादी (दंपति) को निश्चित रूप से उसके माता-पिता द्वारा उसके प्रवेश के लिए सहमति के अधीन परिसर में प्रवेश करने या रहने से पूरी तरह से रोक दिया जाता है.

ये भी पढ़ें: सोनिया गांधी ने स्मृति ईरानी से कहा ‘यू डोंट टॉक टू मी’, बोलीं निर्मला सीतारमण- ‘सोनिया ने सदन में भाजपा सांसद को धमकाया’