पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। जिले का भालूडीगी गांव, जिसे कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था, अब एक नई उम्मीद की किरण देख रहा है। जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) निखिल राखेचा ने पहली बार पुलिस टीम के साथ इस दुर्गम इलाके में पैदल पहुंचकर ग्रामीणों का भरोसा जीतने की पहल की है।

बता दें कि एसपी राखेचा रविवार सुबह अपनी टीम के साथ मैंनपुर थाना क्षेत्र के कुल्हाड़ी घाट तक वाहन से पहुंचे और फिर वहां से करीब 12 किलोमीटर की कठिन पहाड़ी चढ़ाई पैदल तय कर भालूडीगी पहुंचे। पुलिस की यह यात्रा करीब 7 घंटे लंबी रही, जिसमें उन्होंने दो घंटे स्थानीय ग्रामीणों के बीच बैठकर न सिर्फ उनकी समस्याएं सुनीं, बल्कि उनके साथ भोजन भी किया।

पहली बार सिविक एक्शन कार्यक्रम में ऐसी पहल

पुलिस सिविक एक्शन कार्यक्रम के तहत यह पहला मौका था जब जिले के एसपी ने इतनी दूर, दुर्गम और नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्वयं पहुंचकर जनता से सीधा संवाद किया। पुलिस टीम अपने साथ स्कूली बच्चों के बैग, साड़ियां, छाते, टॉर्च जैसी दैनिक उपयोग की वस्तुएं भी लाई थी, जिन्हें उन्होंने ग्रामीणों को भेंट किया।

जो ग्रामीण पहले नक्सलियों को देखकर भयभीत होते थे, इस बार एसपी और उनकी टीम को अपने बीच पाकर हैरान भी हुए और खुश भी। उन्होंने इस पहल का खुले दिल से स्वागत किया।

नक्सली गतिविधियों के बीच विश्वास का प्रयास

गौरतलब है कि भालूडीगी क्षेत्र ओडिशा सीमा से लगा हुआ है और कभी यह इलाका नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना माना जाता था। इसी साल जनवरी में इसी क्षेत्र में माओवादी सेंट्रल कमेटी के सदस्य चलपति समेत 16 नक्सलियों को सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में ढेर किया था। यह कार्रवाई एसपी राखेचा की रणनीति का ही परिणाम थी।

अब इस इलाके में सक्रिय कुछ नक्सली कमांडर जैसे बलदेव, अंजू और रामदास की मौजूदगी की भी जानकारी है। ऐसे में एसपी राखेचा ने पुलिस की “घर वापसी योजना” के पर्चे पूरे क्षेत्र में चिपकाकर आत्मसमर्पण का संदेश भी छोड़ा।

एसपी राखेचा ने ग्रामीणों से कहा- “पुलिस आपके साथ है”

एसपी राखेचा का कहना है कि नक्सली ग्रामीणों की भोली भावनाओं का फायदा उठाते हैं और उन्हें भ्रमित करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया, “हम हर उस स्थान तक जाएंगे जहां जनता रहती है। हम यह संदेश देना चाहते हैं कि पुलिस प्रशासन हर समस्या, हर जरूरत को पूरा करने के लिए हर नागरिक के साथ सदैव तत्पर होकर खड़ी है। एसपी राखेचा ने कहा कि लोगों में विश्वास बढ़ाना, शासन की योजनाओं से उन्हें जोड़ना और सुरक्षा का एहसास दिलाना ही इस पहल का मकसद है।

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