रायपुर. साहित्य एवं भाषा अध्ययनशाला, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर ने कला भवन, सेमिनार हॉल में पूर्व छात्र मिलन समारोह का आयोजन किया. कार्यक्रम में भूतपूर्व छात्रों का तिलक, चन्दन व पुष्प प्रदान कर स्वागत किया गया. कार्यक्रम में विभाग के वरिष्ठ पूर्व छात्रों ने अपने अनुभव साझा किए.

कार्यक्रम के अध्यक्ष, विभाग के एलुमनी प्रो. केशरी लाल वर्मा पूर्व कुलपति पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर एवं वर्तमान में कुलपति छत्रपति शिवाजी महाराज विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र व अन्य अतिथियों ने माँ वागेश्वरी के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. कार्यक्रम में प्रो. केशरी लाल वर्मा ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि विभाग एक परिवार है. यह स्मृति उजागर करने का अवसर है. उन्होंने विभाग की उपलब्धियां और मार्गदर्शन की परंपरा को याद किया. राज्य व देश में भाषा पर कार्य कर रहे पूर्व छात्रों की सराहना भी की.

उन्होंने कहा, सभी भाषाएं अवसर प्रदान करती है. अवसर को उपलब्धियों में बदलना जरुरी है. भाषाविद प्रो. चित्तरंजन कर ने भाषा की गूढ़ता पर प्रकाश डालते हुए भविष्य में मानक हिंदी व्याकरण लिखने की योजना पर प्रकाश डाला. उन्होंने भाषा विज्ञान को संप्रदाय की संज्ञा दी. डॉ. राजेश दुबे प्राचार्य, शा. भाठागांव महाविद्यालय, रायपुर ने अपने छात्र जीवन की स्मृतियों को याद किया. विषय संबंधी वाली कठिनाइयों को वे आज भी अपने गुरुजनों से पूछ कर दूर करते हैं . उन्होंने भविष्य में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार एवं पूर्व छात्र मिलन समारोह के लिए सहयोग राशि 25000 रुपए देने की घोषणा की.

डॉ. सविता सिंह शा. विज्ञान महाविद्यालय, रायपुर ने बताया कि वे विभाग के प्राध्यापकों की कर्मठता से प्रेरित थीं. उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपने पद-चिन्ह छोड़ कर जाना चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ी उनके कामों को याद करे. डॉ. सुधीर शर्मा, कल्याण महा. भिलाई ने अपने व्यक्तित्व निर्माण का श्रेय अपने गुरुजनों को दिया. उन्होंने बताया कि इस विभाग से जुड़कर हर व्यक्ति विद्वान बन जाता था. जो अपनी जड़ों से जुड़ा रहेगा वह आगे बढे़गा.

डॉ. प्रवीण शर्मा ने अतीत की स्मृतियों को याद करते हुए सफल आयोजन के लिए बधाई दी. डॉ. जयपाल सिंह प्रजापति (सहा.प्रा.) पं. सुन्दरलाल शर्मा विवि बिलासपुर ने विभाग के अतुलनीय योगदान को याद करते हुए अपने प्राध्यापकों के प्रति कृतज्ञता जताई. उन्होंने कहा कि जीवन कठिन है सफलता असफलता मिलती रहती है. गुरुओं का पैर पकड़े रहें तो डूबेंगे नहीं.

शशि खुटिया डिप्टी रजिस्ट्रार, आंजनेय विविरायपुर ने अपने अनुभवों से सभी को गुदगुदाया एवं भविष्य में छात्र हित के लिए अनेक सुझाव रखे. प्रो. डॉ. शैल शर्मा, अध्यक्ष, साहित्य एवं भाषा-अध्ययनशाला ने सभी अतिथियों, भूतपूर्व छात्रों, विभाग के प्राध्यापकों का आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम में विभाग की एसोसिएट प्रो. डॉ. मधुलता बारा, डॉ. मृणालिनी करमोकर, डॉ. आरती पाठक, डॉ. कुमुदिनी घृतलहरे, डॉ. विभाषा मिश्रा, डॉ. शारदा सिंह एवं शोधार्थी उपस्थित रहे.