अमृतसर। देश के 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले लाखों पंजाबियों को मंगलवार को अकाल तख्त में याद किया गया. इस संबंध में अकाल तख्त में एक विशेष अरदास समागम का आयोजन किया गया. जिसमें देश के विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले लाखों लोगों को श्रद्धांजलि दी गई. इससे पहले अखंड पाठ साहिब का भोग लगाया गया और सचखंड श्री हरमंदर साहिब के हजूरी रागी जत्थों ने गुरबानी कीर्तन किया.

अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाते हुए दोनों देशों की सरकारों को स्वेच्छा से शोक प्रस्ताव पारित कर विस्थापन का दर्द सहने वाले लोगों को याद करना चाहिए था, लेकिन सरकारों ने इसे महत्वपूर्ण नहीं माना. उन्होंने कहा कि 1947 से पहले जन्म लेने वालों को बड़े दिल से खुला वीजा दिया जाना चाहिए, ताकि वे आसानी से अपने जन्मस्थान, पुश्तैनी स्थानों और धार्मिक स्थलों पर जा सकें.

पंजाब और बंगाल के लोगों ने कई यातनाएं झेलीं

ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि पंजाब को 1947 में देश के विभाजन में सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा और उसके बाद बंगाल के लोगों को यह सहना पड़ा. दो राज्यों पंजाब और बंगाल के लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया, जिन्हें तब उनके राज्यों को भयानक रूप से विभाजित करके दंडित किया गया था. पंजाब और बंगाल दोनों का बंटवारा हो गया और उन्होंने उनकी संपत्ति जब्त कर ली. इस बीच जत्थेदार ने पंजाब के मौजूदा हालात पर भी चिंता जताई.

पंजाब की स्थिति चिंताजनक

उन्होंने कहा कि पंजाब का मौजूदा समय बेहद चिंताजनक है. नशीले पदार्थों की लत और प्रकृति के प्रति लापरवाही के कारण पारिस्थितिक संकट जैसी अमानवीय घटनाएं पंजाब को विनाश के कगार पर ले जा रही हैं. इस अवसर पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी, दरबार साहिब के ग्रंथी ज्ञानी राजदीप सिंह आदि उपस्थित थे.

इसे भी पढ़ें : बिहार में मंत्रालयों और विभागों का हुआ बंटवारा, नीतीश ने अपने पास रखा गृह मंत्रालय, तेजस्वी और तेजप्रताप को इन विभागों की जिम्मेदारी…