लेखक- एन.डी. मानिकपुरी, अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता

हमर राज छत्तीसगढ़ म दाई-बहिनी मन के प्रमुख तिहार तीजा (हरिततालिका) आय। जेन म दाई-बहिनी मन अपन-अपन सुहाग ल अम्मर रखो बर निरजला उपास रखके, भगवान शंकर-पारबती के पूजा करथें। तीजा तिहार ह दीदी-बहिनी मन ल मइके के गरब अउ पुरखा के सुरता कराथे।

भादो महिना के अंधियारी पाख के सिराती बेरा म पोरा तिहार परथे, फेर नवा अंजोरी पाख शुरू होथे। अंजोरी पाख के तीसरइया दिन तीजा (हरिततालिका) माने जाथे। हमर राज म आने तिहार कस तीजा के घलो बड़ महात्तम हे। फेर ये तिहार ह राखी अउ कमरछठ कस दाई-बहिनी मन ले जुड़े हावय। तीजा के अगोरा ससुरार गे जम्मों बहिनी मन कर करथें, चाहे उंखर उमर कतको बड़े रहाय अउ ससुरार म उमन ल कतको बड़े जिम्मेदारी निभाना रहाय, पर ये तिहार म दाई-बहिनी मन मइके जाए ल नई छोंड़य।

छत्तीसगढ़ म पुरखा अउ तइहा पाहरो ये चलागन चले आत हे के तीजा-पोरा बर बहिनी-बेटी ल मइके वाले मन लेवा( लिवा कर लाना) के लाथें। लेवाय बर ददा, कका, बबा, भाई, भतीजा संग मइके के कोनो भी रिश्तेदार चल देथें। कोनो-कोनो बहिनी मन पोरा के पहिली मइके आ जथें अउ कोनो-कोनो बहिनी मन पोरा मान के तीजा माने ल आथें। जेन बहिनी मन के मइके वाले दूर रहिथे या फेर कोनो अड़चन म रहिथे, वो बहिनी मन मइके के कोनो भी मनखे के रद्दा जोहत रहिथे, छत्तीसगढ़ी के हाना हे कि ’’मइके के कूकर अमोल’’ कहे मतलब हे बहिनी मन मइके के कूकर के घलो रद्दा देखथे। दीदी-बहिनी मन ल लेवाय बर जवइया मन मइके ले रोटी धर के उंखर ससुरार जाथे। जेन ल दीदी-बहिनी के संगे-संगे उंखर के ससुरार के दूसर मनखे घलो खाथें।

मइके आके दीदी-बहिनी मन तीजा के पहिली रात करू भात खाथे। जेन म दीदी-बहिनी मन आने दिन कस भोजन परसाद पाथें, संग म करेला खाथें। करेला कच्चा खाए जाथे, कोनो-कोनो मन करेला ल सब्जी बनाके खाथें। फेर तिहारिन बहिनी मन रात 12 बजे ले उपास षुरू करथे। तीजा के दिन बिहानिया ले नहाके दीदी-बहिनी मन पूजा पाठ करथें। दिन म मइके म आय अपन सखी-सहेली और गांव-बस्ती के रिश्तेदार मन ले मिलनभेंट करथें। कहूं-कहूं गांव के खेल खेलथें, त कई जगह झूलना फांदके बड़ झूलथें। संझा के बेरा घेरो-घर फुलेरा सजाथें। माने जाथे पुरान म जेन फूल-पत्ती के बर्णन मिलथे, फुलेरा में उही फूल-पत्ती के उपयोग करे जाथे। फुलेरा के लंबाई ह 7 फीट तक होथे, कोनो-कोनो ये ला छोटे रूप म सजाथें। जेन ल बनाय बर चार ले पांच घंटे घलो लगथे। भगवान शंकर अउ माता पारबती के माटी के मूर्ति बनाके रातभर पूजा करथें। संग म भजन-कीर्तन अउ संगीत के कार्यक्रम घलो चलथे। रातभर पूजा करके बिहानिया तिजहारिन मन फुलेरा अउ भगवान शंकर पारबती के मूर्ति ल बिसर्जित करथें।

माता पारबती करिस तपस्याः-अइसे माने जाथे के माता पारबती ह भगवान शंकर ल पति के रूप पाय बर अन्न-जल त्याग के 12 साल तक हवा पीके तपस्या करिन। 24 साल तक पेड़ के पत्ता खा के रिहिन। बइसाख-जेठ के महीना म घाम म पंचाग्नि साधना करिन। ठंड में पानी म खड़ा होके सावन म निराहार रहिके अउ भादो महिना के अंजोरी पाख के तीसइया दिन रेती ले भगवान शंकर के मूर्ति बनाके पूजा करिन। जेन म फूल अउ पत्ती सजा के पूजा करिन अउ रात जागरन करिन, तब भगवान शंकर प्रसन्न होइस। येखर बाद माता पारबती ह भगवान शंकर पति रूप म पाइन।

कुंवारी मन घलो रहिथे उपासः-माता पारबती के कठिन तपस्या अउ उपास ले भगवान शंकर प्रसन्न होइस, वइसने दीदी-बहिनी मन भगवान षंकर के ध्यान लगाके कठिन उपास रहिथे ताकि उंखर पति के जीवन लंबा होय। तब ले भादो महिना के अंजोरी पाख के तीसइया तिथि म तीजा के कठिन उपास रखे जाथे। बिहाव होय बहिनी मन अपन पति के उमर बाढ़े बर उपास रहिथें अउ सुघ्घर जीवन साथी पाय बर ये उपास ल कुंवारी बहिनी मन घलो रखथें।

सात जात के अनाज के रोटी:-नवा बिहाव के बाद पहली बार जेन तिजहारिन मइके आथें, उंखर बर बनाए ठेठेरी-खुरमी के संग सात जात (प्रकार) के अनाज मिलाके रोटी बनाथें, जेन ला फरहारी के संग तिजहारिन मन खाथें। सातो जात के अनाज म गंहू, चाउंर, राहेर, मसूर, तिली संग दूसर अनाज ल मिलाय जाथे।

सालभर ले करथें अगोराः- तीजा के दूसरा दिन तिजहारिन मन फरहार करथे। जेन म एक-दूसर के घर फरहार बर बलाए जाथे। तिजहारिन मन बड़ उछाह से मनाथें। अपन-अपन जुन्ना संगी संगवारी अउ गांव बस्ती के जान पहिचान वाले मन से मिलन-भेंट करथे। बहिनी के मया अउ दुलार, मान-सम्मान हर सालभर म अवइया तीजा म दिखथे। तीजा के अगोरा दाई-माई मन सालभर तक करथें।

बेटा-बेटी एक सामान:- आज के समय म बेटा अउ बेटी के एक सामान माने जाथे। समय बदलिस अउ कानून म बेटी मन ल घलो संपत्ति के बरोबर बटवार देय के प्रावधान बनिस, पर तीजा के मान-सम्मान एक तरफ अउ दूसर तरफ करोड़ों के संपत्ति, तब बहिनी मन तीजा के मान-सम्मान चुनथे अउ करोड़ों के संपत्ति ठोकर मार देथे। ददा अउ भाई के केहे म अपन हिसा के संपत्ति ल घलो उन ल दे देथें। जेन मन संबोधन( सह नहीं सकते) नई कर सकयं वो मन कोर्ट-कचहरी म पेशी उदड़थें।

राज म आही खुषहाली:-हमर राज के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ह महिला स्वसहायता समूह के कर्जा मांफ करके अउ नगरीय निकाय चुनाव म महिला मन 50 प्रतिशत आरक्षण देके फैसला करके उंखर बड़ मान बढ़ाइस। अपन निवास अउ शासन स्तर म तीजा-पोरा उत्सव आयोजन करके छत्तीसगढ़ की संस्कृति अउ इंहा के दाई-माई मन के मान बढ़ाई। आपो मन ले निवेदन हे कि दीदी-बहिनी के मान सम्मान म कोनो कमी मत करौ, काबर सबो बहिनी मन ल ससुरार म बेटी जइसे सुख नई मिलय, अपन जीव ल जुड़ाय बर(शान्ति की तलाश) उमन अपन मइके आथें, तब उंखर दुख-दर्द ल समझौ अउ उंखर ले मया करौ। अइसन करे ले समाज के कतका व्याधि हर मिटा जाही। काबर मानव समाज के आधा हिस्सा ये दाई-माई मन हर तो आय अउ हर घर के आधार ये दाई-दीदी मन आय। इंखर खुश रहे ले परिवार, परिवार के खुश रहे ले समाज अउ समाज के खुश रहे ले राज म खुशहाली आही।

जय जोहार……