फीचर स्टोरी. छत्तीसगढ़ में ये कहानी है दो युवाओं की. उन दो युवाओं की जिन्होंने स्वरोजगार को अपनाया और उसमें आगे बढ़ने लगे. ये कहानी है उन दो युवाओं की, जिन्होंने खुद के हुनर को पहचाना और अपने सपने को साकार करने में जुट गए. ये कहानी है उन दो युवाओं की जो सिर्फ सरकारी नौकरी के भरोस नहीं बैठे रहे, बल्कि दूसरों को नौकरी देने की ओर उठ खड़े हुए. ये कहानी है उन दो युवाओं की जिन्होंने आर्थिक तंगी के बीच व्यवसायी बनना बेहतर समझा. ये कहानी है मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार से लाभांवित अनिता और नितिन की.

किराना व्यवसायी अनिता की कहानी

दुकान में खड़ी ये तस्वीर अनिता चिकुड़ की है. ये अनिता की किराने की दुकान है. नक्सल प्रभावित जिला बीजापुर में कोनागुड़ा गांव की रहने वाली है अनिता. अनिता शादीशुदा है. अनिता ने आठवीं तक की पढ़ाई की है. अनिता के पति बीईओ कार्यालय में भृत्य हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. महंगाई के इस दौर में घर का खर्च चलाना असान नहीं. ऐसे में अनिता ने खुद को एक व्यवसायी के तौर पर तैयार करना शुरू किया.

अनिता यह पाया कि गाँव में एक भी किराने की दुकान नहीं. गाँव में किराने की दुकान खोली जा सकती है. इससे गाँव वालों की जरूरत भी पूरी हो जाएगी और उसके पास भी स्वरोजगार आ जाएगा. लेकिन अनिता के सामने दुकान खोलने की चुनौती थी. चुनौती आर्थिक तंगी की थी. अनिता ने अपनी इच्छा अपने पति से जाहिर की. अनिता के पति संतोष ने सरकारी लोन संबंधी जानकारी जुटाई. संतोष को पता चला कि मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत बहुत असानी से 2 लाख रुपये तक लोन मिल सकता है.

लोन संबंधी जानकारी और प्रकियाओं को अनिता और संतोष ने जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र में जाकर समझा. उन्हें बताया गया कि मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत राज्य के युवा वर्ग को स्व-रोजगार के रूप में उद्योग, सेवा एवं व्यवसाय स्थापित करने में समग्र सहायता (वित्तीय सहायता, गांरटी, प्रशिक्षण व अनुसरण) उपलब्ध कराना है, योजना के अंतर्गत आवेदक की शैक्षणिक योग्यता न्यूनतम आठवी उत्तीर्ण एवं आयु 18 वर्ष से 40 वर्ष के मध्य हो, ऐसे हितग्राही को विनिर्माण हेतु 25 लाख, सेवा उद्यम हेतु 10 लाख एवं व्यवसाय हेतु 2 लाख तक ऋण प्रदाय करने का प्रावधान है. योजना से लाभांवित हितग्राहियों को 10 से 25 प्रतिशत विभागीय अनुदान की पात्रता होती है.

इस जानकारी के साथ ही अनिता ने किराना दुकान खोलने जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र बीजापुर में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना अंतर्गत लोन के लिए आवेदन किया. विभाग की ओर से लोन स्वीकृति हेतु पंजाब नेशनल बैंक को पत्र प्रेषित किया गया. कुछ दिनों की प्रकिया के बाद अनिता को 1 लाख रुपये का ऋण बैंक से स्वीकृत हो गया.

ऋण स्वीकृति के बाद दुकान चलाने के लिए विभाग की ओर से अनिता को सप्ताह भर का प्रशिक्षण भी दिया गया. प्रशिक्षण प्राप्ति के बाद अनिता का व्यवसायी बनने का सफर शुरू हुआ. वहीं विभागीय योजना के तहत अनुसूचित जाति वर्ग की होने की वजह से अनिता को 25 प्रतिशत तक का अनुदान 25 हजार रुपये भी प्रदान किया गया.

अनिता बताती है कि अब गाँव में रहकर एक दुकान संचालिका की रूप में वह पहचान बना रही है. परिवार का सहयोग भी कर पा रही है. आर्थिक स्थिति में सुधार भी हो रहा है. प्रतिमाह लगभग 6 हजार रुपये की आमदनी हो जा रही है. इससे बैंक का किश्त भी चुका पा रहीं है. सरकार की इस योजना से साहस और विश्वास दोनों ही मिला है. वह खुद को अब आत्मनिर्भर के रूप में देख रही है.

हार्डवेयर व्यवसायी नितिन की कहानी

छत्तीसगढ़ में एक गढ़ है सारंगगढ़. सारंगगढ़ में है एक गांव पचपेड़ी. पचपेड़ी में है एक हार्डवेयर की दुकान. दुकान के मालिक हैं नितिन टांडे. ऊपर तस्वीर की कहानी यही है. नितिन की कहानी है. कहानी मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना से अपने सपने को साकार करने की.

नितिन शिक्षा के क्षेत्र में कुछ खास नहीं कर पाया. पढ़ाई में वो आगे नहीं बढ़ पाया. ऐसे में गाँव में रहकर कुछ न कुछ करना ही था. नौकरी कम पढ़ाई के साथ हासिल की नहीं जा सकती और रोजी-मजदूरी का कार्य नितिन संभव नहीं था. नितिन ऐसे में खुद का कुछ धंधा करना बेहतर समझा. लेकिन व्यवसाय के जो सबसे जरूरी है वो है धन. धन के बाद भी मजबूत मन के साथ आगे बढ़ा जा सकता. धन की समस्या को दूर करने नितिन जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र में संपर्क किया.

नितिन को विभाग से मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना की जानकारी मिली. मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत 18 से 40 वर्ष की आयु तक के युवा को 25 से 2 लाख रुपये तक लोन दिया जा सकता है. नितिन विभाग के अधिकारियों को अपने व्यवसाय संबंधी जानकारी दी. नितिन बताया कि वह अपने गाँव में हार्डवेयर की दुकान खोलना चाहता है. विभाग के अधिकारियों ने नितिन को योजना संबंधी पूरी जानकारी दी.

जानकारी जुटाने के बाद नितिन मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना अंतर्गत 2 लाख रुपये ऋण के लिए आवेदन किया. कागजी कार्यवाही के बाद नितिन के ऋण संबंधी दस्तावेज एसबीआई सारंगगढ़ ब्रांच को प्रेषित किया गया. कुछ दिनों की प्रकिया के बाद नितिन को लाख रुपये का ऋण प्राप्त हो गया है. आरक्षित वर्ग की होने की वजह से नितिन ऋण में 25 प्रतिशत तक का अनुदान मिला. लोन प्राप्त होते ही नितिन हार्डवेयर की दुकान गांव में खोल ली है.

नितिन कहता है कि उसका व्यवसाय धीरे-धीरे चल निकला. गाँव में रहकर ही वह अब ठीक-ठाक रुपये कमा ले रहा है. प्रतिमाह आज उसे 15 से 25 हजार रुपये तक की आमदनी हो जाती है. समय के साथ वह अब एक व्यवासयी नितिन बनने की ओर अग्रसर है. मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार से उसके सपने एक तरह साकार हो गए. कुछ दिनों पर वह खुद कुछ लोगों को रोजगार उपलब्ध करा पाने में सफल होगा.