रायपुर. … तो आपको गांधी जी को *** कहने वाला नया भारत चाहिए ? … तो आपको भी गोडसे को नमस्कार करने वाला नया संविधान चाहिए ? …  तो आपकी भी आत्मा धर्म के नाम पर नफरत की आग में झुलसने लगी है ?

आज गांधी पर वाहियात टिप्पणी बर्दाश्त कर लेने वालों कल तुम्हारा गला घोटा जाएगा और कोई नहीं होगा बोलने वाला. उस धर्म संसद में जो चुनाव के ढोल बजाने आए थे वो संत थे या नफरत के एजेंट, इसकी पहचान करने में चूकने की सजा देश ही भुगतने जा रहा है.

उस घिनौने भाषण पर जो तालियां पीट रहे थे न वो तो उन्मादियों की फौज के रंगरूट थे लेकिन जो चुप हैं, तटस्थ हैं वो भी उस उन्माद को भड़काने के अपराधी होंगे और समय लिखेगा उनका भी अपराध.

विवेकहीनता की चौखट पर सिर झुकाए तालियां बजाते लोग सिर्फ धर्म भीरू नहीं हैं,सिर्फ आजादी के संघर्ष और उसके मूल्यों से नावाकिफ लोग नहीं हैं,सिर्फ इस देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए दी गईं कुर्बानियों का उपहास उड़ाने वाले लोग नहीं हैं,वो उस हिंसक समाज के दूत हैं जो आपकी गलियों में पैर पसार रहा है.

जो मंच से गांधी को गालियां बक रहे थे उनके पूर्वजों के खातों में इस देश को तोड़ने के और इस देश से दगा करने के ही अपराध हैं. वो गालियां सिर्फ गांधी को नहीं दे रहे थे,वो आजादी के संघर्ष के एक–एक सिपाही को गालियां दे रहे थे.  वो इस देश के उस अवाम को गालियां दे रहे थे जिसने आजादी के लिए गांधी ,नेहरू ,भगत सिंह,सुभाष चंद्र बोस ,सरदार पटेल से लेकर वीर नारायण सिंह या गुण्डाधुर जैसे असंख्य वीरों के नेतृत्व में लड़ाइयां लड़ीं,कुर्बानियां दीं.

इतिहास के पन्नों पर जिनके लिए कुर्बानियों की जगह शून्य दर्ज हो वो आज गांधी को गालियां बक कर नया इतिहास गढ़ना चाहते हैं. इस इतिहास के नए विद्यार्थियों आपकी तालियां देश को तोड़ने वाली हैं और सजा आपकी औलादें भी भुगतेंगी. ये उन्मादी तब भी अट्टहास कर रहे होंगे, गांधी पर गोलियां बरसा रहे होंगे पर तब तक बहुत देर भी हो चुकी होगी.

इनका लक्ष्य दीवार पर लिखी इबारत है. पढ़ सकें तो पढ़ लीजिए,समझ सकें तो चुप्पी तोड़िए. एक अप्रतिम संघर्ष ने हमें आजाद देश सौंपा है. इस आजादी को सहेजने की जिम्मेदारी हमारी–आपकी है.

अब देश नफरत का गुलाम ना बन जाए,अब देश उन्माद की आग में ना झुलस जाए,अब देश ना टूटने पाए यह लड़ाई भी आजादी की लड़ाई जितनी ही जरूरी और चुनौतियों भरी है.

गांधी को गालियों पर बजने वाली एक–एक ताली इस लड़ाई को कमजोर करने की साजिश है. ऐसी साजिशों का बेनकाब होना भी देश को बचाने की लड़ाई का जरूरी हिस्सा है. इसलिए तालियां मत बजाइए, नफरत और उन्माद के खिलाफ,गांधी को गोली मारे जाने की और गोडसे को नमस्कार करने की साजिशों के खिलाफ मुट्ठियां बांधिए.

लेखक- रूचिर गर्ग