सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ के जाने-माने सूफी, ग़ज़ल-भजन गायक पद्मश्री सिंह चौहान को पद्मश्री से नवाजे जाएंगे. उनके नाम का ऐलान गणतंत्र दिवस पर्व के मौके पर 25 जनवरी को भारत सरकार की ओर से किया गया. राजधानी में राजा तलाब के तंग गलियों के बीच रहने वाले मदन सिंह चौहान का संगीत की दुनिया में बहुत बड़ा नाम है. लेकिन वे अपनी शोहरत भरी दुनिया में भी गुमनामों की तरह ही जीते रहे हैं. उन्होंने हमेशा अपने आपको चकाचौंध वाली दुनिया से खुद को दूर ही रखा. वे अपनी दुनिया में संगीत की साधना में जुटे रहे हैं.

मदन सिंह चौहान का जन्म 15 अक्टूबर 1947 में हुआ था. वे बचपन से ही संगीत के प्रति आकर्षित रहे. उन्होंने घर में रखे डिब्बों को बजाकर भजन गाना शुरू कर दिया था. धीरे-धीरे वे संगीत की दुनिया में डुबते चले गए. घर से निकले तो भजन मंडलियों के बीच पहुँच गए. मोहल्ले के भजन मंडलियों में गाना गाने लगे. इन सबके बीच वे आर्थिक तंगी की दौर से भी गुजरते रहे. उन्होंने पैसों से ज्यादा संगीत साधना को महत्व दिया. भजन मंडली के साथ-साथ वे आर्केस्टा में गाना गाने के लिए गए. लेकिन उन्हें रास नहीं. वे सूफी संगीत की ओर ही आगे बढ़ने लगे. कबीर के भजनों, सूफी ग़ज़लों को गाने लगे. फिर यही सिलसिला आज तक जारी है. संगीत साधक होने के साथ वे संगीत शिक्षक बन गए. बहुत सारे उनके शिष्य आज अच्छे गायक बनकर शोहरत और दौलत दोनों ही कमा रहे हैं.

lalluram.com जब पदमश्री सम्मान मिलने की उपलब्धि पर मदन सिंह चौहान से बात की तो वे फफककर रो पड़े….क्या कहते संगीत के महारथी चौहान…सुनिए इस बातचीत में-

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