बिलासपुर। संयुक्त संचालक के पद से सेवानिवृत्त हुए बिलासपुर के पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी आरएन हीराधार की अग्रिम जमानत याचिका विशेष कोर्ट ने खारिज कर दी है. हीराधार ने याचिका दाखिल करते हुए उम्र होने के साथ हृदय और मस्तिष्क की गंभीर बीमारियों से पीड़ित होने का हवाला दिया था.
आय से अधिक संपत्ति के मामले में शिकायत में आरोपों की पुष्टि होने के बाद सेवानिवृत्त होने कुछ महीने बाद ही एक करोड़ 72 लाख रुपए की चल-अचल संपत्ति का हिसाब-किताब नहीं देने और जांच में सहयोग नहीं करने के कारण विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सुनील कुमार जायसवाल की कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की है.
आरएन हीराधार के खिलाफ वर्ष 2020 में आए से अधिक संपत्ति की शिकायत की गई थी. जिस पर एंटी करप्शन ब्यूरो ने प्रारंभिक जांच की तो आय से अधिक संपत्ति का खुलासा हुआ. इसके बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) और 13 (2) के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था. जांच पूरी होने के बाद एसीबी की विशेष अदालत में चालान प्रस्तुत किया था.
तीन साल पहले एसीबी ने की थी कार्यवाही
रिटायर्ड अधिकारी हीराधार की शिक्षा विभाग में वर्ष 1986 में नौकरी लगी. वे 2021 में रिटायर हुए थे. वर्ष 2021 में रिटायरमेंट के पहले बिलासपुर में डीईओ और जेडी रहने के दौरान उन पर कई गंभीर आरोप लगे थे. सेवाकाल के दौरान वेतन भत्ते से लेकर 3 करोड़ 18 लाख 57 हजार रुपए की आय हुई, लेकिन इस दौरान उन्होंने 4 करोड़ 90 लाख 66 हजार 126 रुपए का खर्चा बताया. यानी आय से एक करोड़ 72 लाख 8257 रुपए अधिक खर्च किए.