फीचर स्टोरी। क्या आपने कभी सोचा था कि गोबर से भी इंसानों की जिंदगी में खुशियां परोस सकता है. शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि गोबर भी किसी का जीवन बदल सकता है. परिवार को खुशहाल कर सकता है, लेकिन छत्तीगढ़ में भूपेश सरकार की योजना ने इस क्या और सवाल को हकीकत में तब्दील कर दिया है. गोधन न्याय योजना के लागू होते ही कई लोगों के जीवन में सुखद परिवर्तन देखने को मिल रहा है.

दरअसल, छत्तीसगढ़ के गौपालक और गौठानों में काम करने वाले महिला समूहों की कमाई लगातार जारी है. अप्रैल महीने में फिर उन्हें करीब 5.32 करोड़ रुपए की किस्त जारी की गई. अब तक उन्हें करीब 224 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है. हर जिले, हर गांव से गोबर बेचकर अच्छी कमाई और संसाधन जुटाने की खबरें आ रही हैं. राज्य की इस योजना को गांवों में रोजगार के लिए संजीवनी देने वाली योजना के तौर पर देखा जा रहा है.

गोधन न्याय योजना के जरिए गोबर और गौमूत्र खरीदने वाले छत्तीसगढ़ राज्य की बढ़त जारी है. अप्रैल माह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 5.32 करोड़ रुपए गौपालकों और गौठान समितियों को ऑनलाइन जारी किया. योजना की शुरुआत से अब तक
224 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जारी की जा चुकी है.

16 से 31 मार्च तक खरीदे गए 1 लाख 45 हजार क्विंटल गोबर के एवज में 2 करोड़ 91 लाख रुपए का भुगतान किया गया, जिसमें गौठान समितियों को 1.43 करोड़ रुपए और महिला समूहों को 98 लाख रुपए की लाभांश राशि है.

गांवों के आर्थिक स्वावलंबन का काम

गोधन न्याय योजना में निरंतर उपलब्धियां हासिल की जा रही हैं, लेकिन स्वावलंबी गौठानों की संख्या में जिस तेजी से वृद्धि हो रही है, वह सबसे बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि इस योजना का मुख्य उद्देश्य ही अपने गांवों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना है. गोबर विक्रेताओं को दी जा रही राशि में से 1 करोड़ 67 लाख रुपए की राशि स्वावलंबी गौठानों की ओर से स्वयं भुगतान की जा रही है.

विभाग की ओर से 1 करोड़ 24 लाख रुपए का भुगतान किया जा रहा है. गौठान समितियों को स्वावलंबन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हम लोगों ने स्वावलंबी गौठान समिति के अध्यक्षों को 750 रुपए और सदस्यों को 500 रुपए हर महीने प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया गया है.

गोबर बेचकर कमाई पौने दो लाख, बनवा रही मकान

अभनपुर निवासी हीराबाई के लिए गोधन न्याय योजना वरदान साबित हुई है. गोबर बेचकर हीराबाई ने एक लाख 70 हजार रुपए की कमाई की है. इस पैसे से वे मकान बनवा रही हैं. घर में बोर खनन का भी काम कराया है. अब उनका आशियाना भी पक्का हो जाएगा.

22.17 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय से 206.57 करोड़ की आय

गोधन न्याय योजना के तहत राज्य के गौठानों में 2 रूपए किलो में क्रय किए जा रहे गोबर से महिला समूहों द्वारा अब तक कुल 28 लाख 98 हजार 303 क्विंटल कम्पोस्ट खाद का उत्पादन किया गया है, जिसमें 23 लाख 24 हजार 864 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट, 5 लाख 54 हजार 515 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट एवं 18,924 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट प्लस खाद शामिल है, जिसे सोसायटियों के माध्यम से क्रमशः 10 रूपए, 6 रूपए तथा 6.50 रूपए प्रतिकिलो की दर पर विक्रय किया जा रहा है.

गौठानों में उत्पादित कम्पोस्ट में से 18.22 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट, 3.91 लाख क्विंटल सुपर कम्पोस्टर तथा 3192 क्विंटल सुपर प्लस कम्पोस्ट का विक्रय हो चुका है. जिसकी कीमत 206 करोड़ 57 लाख रूपए है. राज्य के 6158 गौठानों में फिलहाल 5.02 लाख वर्मी कम्पोस्ट तैयार है, जिसके विक्रय के लिए पैकेजिंग की जा रही है.

गौठानों में गोबर से जैविक खाद, जैविक कीटनाशक उत्पादन के अलावा महिला समूह गो-काष्ठ, दीया, अगरबत्ती, मूर्तियां एवं अन्य सामग्री का निर्माण एवं विक्रय कर लाभ अर्जित कर रही हैं. गौठानों में महिला समूहों द्वारा इसके अलावा सब्जी एवं मशरूम का उत्पादन, मुर्गी, बकरी, मछली पालन एवं पशुपालन के साथ-साथ अन्य आय मूलक विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है, जिससे महिला समूहों को अब तक 113 करोड़ 11 लाख रूपए की आय हो चुकी है.

राज्य में गौठानों से 13,063 महिला स्व-सहायता समूह सीधे जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 1,50,036 है. गौठानों में गोबर से विद्युत एवं प्राकृतिक पेंट सहित अन्य सामग्री का भी उत्पादन हो रहा है.

चरवाहे मोहित ने गोबर बेचकर खरीदी जमीन

गौठान समितियां आर्थिक रूप से सशक्त तो बन ही रही हैं, बल्कि आम ग्रामीणों और गोधन की सेवा से जुड़े चरवाहों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव आया है. गोबर से कण्डे बनाने तक सीमित रहने वाले चरवाहों के भाग्य भी इस योजना से खुलने लगे हैं. धमतरी जिले के ग्राम पोटियाडीह के 61 वर्षीय चरवाहे मोहित ने गोबर बेचकर जमा की राशि से अपने जमीन खरीदने के सपने को पूरा कर लिया.

मोहितराम यादव ने बताया कि लगभग ढाई साल पहले तक वह गोबर से कण्डे बनाकर उसका उपयोग घरेलू ईंधन के तौर पर करते थे. बचे हुए कण्डों को वे औने-पौने दाम में बेच दिया करते थे. गोधन न्याय योजना के लागू होने से प्रतिदिन गोबर बेचकर उन्होंने एक लाख से अधिक की राशि अर्जित कर ली.

जब से गोधन न्याय योजना आई है तब से उनका भाग्य चमक उठा है. उन्होंने उत्साहित होकर ठेठ बोली में कहा कि- हमर सरकार हमर मन असन रोजी-मजदूरी करके गुजारा करने वाला मन बर ए योजना ल बनाय हवै..। कभू नई सोंचे रेहेन कि गउठान म गोबर बेच के हमर जिनगी संवर जाही…!‘ बघेल सरकार ह हमर जिनगी म अंजोर करिस.

यादव ने बताया कि पोटियाडीह में गौठान बनने के बाद से वह रोजाना औसतन 50 किलोग्राम गोबर बेचा करते हैं, जिससे उनकी चरवाहे के काम के अतिरिक्त 100 रूपए प्रतिदिन की कमाई हो जाती है. अब तक उन्होंने 550 क्विंटल गोबर बेचकर एक लाख 10 हजार रूपए की आय अर्जित की है.उन्होंने ने बताया कि बड़े बेटे की शादी के बाद उन्होंने घर बनाने की सोचा.

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