फीचर स्टोरी। गोबर खरीदी ल लेके न काहि सोचे के बात हे, न हाँसे के बात हे. ये तो सिरतोन म नियाय के बात हे. काबर नियाय के बात हे ? नियाय के बात येखर सेती कि जेन गोबर अभी तक सिरिफ लिपे के काम आत रहिस, छेना थोपे के काम आत रहिस, उहि गोबर ह अब धन अरजन करे के काम घलोक आय लग हे. ये ह कोनो झूठ-लबारी के बात नोहय. ये सोला आना सत बात हरय. छत्तीसगढ़ सरकार ह अब किसान मन ले, गाय-गरुवा पालने वाला मन ले गोबर लेहे के सुरू कर दे हे.
छत्तीसगढ़ म जब ले मुखिया भूपेश बघेल ह ये योजना ल सुरू करे हे चारो मुड़ा भइगे येखरे चरचा हे. का परदेस अउ का देस. सब कोति गोबर खरीदी के गोठ-बात होवत हे. वइसे होना भी चाही. काबर कि छत्तीसगढ़ सरकार ह देस के पहली अइसे सरकार हरय जेन सिरतोन म किसान अउ गाय मन के रक्छा खातिर नियाय करे हे. सरकार के ये योजना ले पूरा छत्तीसगढ़वासी मन ल लाभ होही. ये बात भले आज छत्तीसगढ़ के सबो निवासी मन नइ समझत होही, फेर गोबर खरीदी के लाभदायी असर एक-एक छत्तीसगढ़िया मन ऊपर अवइया बछर म दिखे लगही.
ये सब बात ल सरकार के बढ़ई म कहे अउ बताय के बात नइहे. ये तो समझे अउ जाने के बात हे. छत्तीसगढ़ म गोबर खरीदी के पीछे सरकार के मंसा ये हे कि किसान रयासनिक खेती ल छोड़ के जैविक खेती ल अपनाय. जइसे के हमर पुरखा मन पहली करत रहिन. गोबर के खातू-माटी ले हमर खेत-खार तो बने होबे करही, फसल घलोक अच्छा होही. खाय-पिये के जम्मों जिनिस अब सुद्ध मिलही, आर्गेनिक मिलही, जैविक मिलही.
भूपेश सरकार ह गोबर खरीदी ल लेके बड़ दूरिहा के सोचे हे. अउ वोखर ये सोच ल अब छत्तीसगढ़ के किसान मन, छत्तीसगढ़िया मन समझे लगे हे.
किसान के बेटा ह समझिस किसान मन के मरम ल
सरगुजा के किसान हेमंत कश्यप के कहिना हे कि छत्तीसगढ़ के मुखिया ह किसान के बेटा हरय. किसान बेटा ह किसान मन के मरम ल सझत हे. मुखिया ये बात ल जानत हे कि आज गाय-गरुवा म ल पालना बड़ खरचा के बुता हे. अइसे म अब गोबर खरीदी ले किसान गोबर बेच के चारा के बेवस्था बने कर सकत हे. मतलब गाय-गरुवा ल पाले मन जेन खरचा आहि वोखर भरपाई गो-धन ले कर सकत हे. सिरतोन म ये बड़ हित के योजना हरय.
गोबर ले बढ़ही आय, घर म होही बईला-भईंसा गाय
महासमुंद के किसान संतराम के कहिना हे कि गोबर ह हम किसान मन के आय बढ़ाय के साधन भी हो सकत हे येला आज जाने हन. जब ले सरकार हमर मन ले गोबर बिसाय बर सुरू करे हे हमर मन के एक ठिन बड़ चिंता ह खतम होगे. चिंता इही बात के रहय कि बईला-भईंसा गाय म ल कइसे पालबो. चारा के कमी के चलत गाय-गरू ल घर म राखे ल छोड़त रहेन. अब जब पईसा आहि त बने जतन घलोक करबो. अब घर म पहली असन बईला-भईंसा अउ गाय घर म होही.
बेवस्था म होही सुधार, खुलही उन्नति के दुवार
पेंड्रा निवासी ओमप्रकाश ह बताते कि ये योजना ले अब कई ठिन बेवस्था बड़ सुग्घर हो जहि. गोबर सरकार बिसाही अउ फायदा सीधा किसान मन ल होही. पहली गोबर बेच के किसान पईसा पाही, फेर उही गोबर के खातू जब सरकार किसान मन बिसाही त सस्ता दाम म पाही. यूरिया-पोटास सहि मंहगा नहीं. सिरतोन सरकार गो-धन न्याय योजना ल सुरू करके किसान मन संग नियाय करे सोचे हे.
पहली दिन ही 30 रुपिया के कमाई
कांकेर के किसान सुखराम बड़ सुख के बात कहिथे. सुखराम कहिथे कि योजना सुरू होय के पहली दिन ही वो ह 15 किलो गोबर सरकार ल बेचिस. 15 किलो गोबर के कीमत 30 रुपिया होइस. मतलब पहली दिन 30 रुपिया के कमाई गो-धन ले होगे. अइसनेहे दिनो-दिनों के कमई होही. गाय-गरुवा मन के जतन संग अउ बने कमई वाले ये योजना ले लाभे-लाभ हे. भूपेश सरकार ल येखर गाड़ा-गाड़ा बधाई हे.
हमर संस्कृति-परंपरा के अंग
सुकमा के कांजीपानी के रहईया धनसाय के कहिना हे कि गाय-गरुवा, गोबर ह तो हमर संस्कृति अउ परंपरा के अंग हरय. हम बर ये सब जिनिस पूजे के हरय. सरकार सिरतोन किसान मन के, गाय-गरुवा मन के हित म ये योजना ल लाय हे. ये योजना ले हमर संस्कृति अउ परंपरा के रक्छा के संगे-संग फायदा घलोक बड़ होही.