कुंवार महीना के नवरात्रि के समापन होगे। छत्तीसगढ़ म दाई के बढ़ महत्तम हे। जन्म देवइया अउ गोरसपान करवइया महतारी ल हर मनखे पहली पूजथे। इंहा धरती दाई, रूख-राई, ग्राम देबी, शीतला दाई, बंजारी, महामाया, अन्नपूर्णा(अन्नदाई), दन्तेश्वरी, सतबहिनिया, काली, बूढ़ी माई, बम्लेश्वरी, विंध्यवासिनी, भवानी, परमेश्वरी, गायत्री, परेतिन दाई के संग बढ़ अकन देबी दाई ल पूजे जाथे। इंहा स्थापित शक्ति पीठ म प्रमुख महामाया मन्दिर रतनपुर, मां बमलेश्वरी डोंगरगढ़, अंगारमोती अउ बिलईमाता धमतरी, दंतेश्वरी मंदिर दंतेवाड़ा, चंडी मंदिर महासमुंद, विंध्यवासिनी मंदिर कवर्धा, चंद्रहासिनी मंदिर चंद्रपुर, मां बन गंगई गंडई राजनांदगांव, पताल भैरवी राजनांदगांव, घटारानी गरियाबंद, अन्नपूर्णा मंदिर पैलीमेटा राजनांदगांव, सुतियापाठ कबीरधाम, बंजारी अउ महामाया मंदिर रायपुर, सर्वमंगला कोरबा के संगे संग हमर राज म ओना-कोना म बिराजे देबी दाई के मनौती करे जाथे।

पुरखा के देन

तइहा बेरा ले हमर राज म भगवान शंकर के संगे संग देबी दाई के पूजा के चलागन हे। शक्ति के रूप म रिकम रिकम के रूप म बिराजे दाई हमर राज के जम्मों मनखे के पीरा हरइया हे। ये पूजा पाठ हमर पुरखा के देन हरे। इतिहास ल देखबो त इहां के राजा पहरो ले जम्मों राजा महाराजा मन के कुल देबी कोनो न कोनो देबी दाई ह रेहे हे। गांव-गांव के देबी मन्दिर अउ कई घर म जंवारा बोंए अउ अखण्ड जोत जलाए के परम्परा हे। पुरखा बेरा ले चले आत हे। गांव के मनखे मन दाई(देबी) के सेवा करथे अउ गांव के पुरोहित मन दुर्गा सप्तमी के पाठ करथें। भजन के रूप म जस गीत गाथें। हर गांव के पुरोहित ह जोत अउ दुर्गा स्थापना, हवन-पूजन के काम ल करथे। जंवारा अउ जोत के देख-रेख पंडा करथे।

जोत-जंवारा

जंवारा अउ जोत ल कोनो गांव म जुरमिल के अउ कोनो-कोनो पोगरी(निजी) बोंवाथे अउ जलाथे। जइसे जेखर मनौती होथे, वइसने वो सेवा करथे। जंवारा बोवाई अउ जोत जलाय के आयोजन ल जग(यज्ञ) के दर्जा दे गेहे। जंवारा एकम के दिन बोंय जाथे, उही दिन जोत जलाथे। एकम के पहिली दिन बिरही फिलोके जंवारा बर खेत बनाए जाथे। टुकनी, खम्भा(बांस से बना टोकरी वाला खम्भा) अउ जमीन म खेत बनाय जाथे। माटी खेत ले लाए जाथे। एकम के दिन जंवारा बोंए जाथे। फेर पंडा बने मनखे ह संझा बिहनिया पानी रितोथे अउ जोत म तेल डारथे। पंडा ल ये बात के ध्यान रखना होथे के जोत बुझाना नई चाही, नई तो जग(यज्ञ) ह पूरा नई होय। पंडा ल सेवा के बीच म रोज के रोज नहाय धोय ले लेके खाय-पाय के भी ध्यान रखे जाथे। पंचमी अउ अठवाही के विशेष पूजा होथे। अठवाही के हवन अउ विशेष पूजा होथे। जिन्हा सेत म जंवारा बोवांथे उन्हां नवमीं के दिन जंवारा ठंडा(विर्सजन) होथे अउ मारन(बलि) वाले जंवारा ह एक दिन बाद ठंडा होथे।

मारन के बोकरा

मारन के बोकरा अठवाही अउ नवमीं के दिन दे जाथे। जम्मों शक्ति पीठ म जंवारा अउ जोत के स्थापना अउ ठंडा अइसने होथे। रोज देबी जस गीत गाके सेवा करे जाथे। जिहां जिहां दुर्गा दाई के मूर्ति बइठारे हे उहां-उहां के जंवारा अउ जोत नवमीं के बाद ठंडा होथे, कोनो कोनो गांव म दसराहा(दशहरा) के बाद दुर्गा, जंवारा अउ जोत ठंडा करथे।

दाई-माई मन हे मुखिया

हमर राज म नारी जात के बढ़ महत्तम हे, काबर हमर राज म राशन कार्ड के मुखिया नाम माई लोगिन के नाव(नाम) म हे। बस्तर लेके सरगुजा तक बाबू जात संग नोनी जात मन बरोबर काम करत हें। खेती-किसानी अउ जम्मों काम बूता म हमर दाई-माई मन के बाबू पिला मन संग बरोबर भागीदारी हे। शिक्षा, खेल, कला, संस्कृति, राजनीति, सामाजिक क्षेत्र ले लेके जम्मों क्षेत्र म काम करत हे। हमर राज म दूसर राज के तुलना म दाई-माई मन के बढ़ सम्मान हे। महिला समूह ल सशक्त बनाय हमर राज सरलग बूता होत हे। ये दिशा हमर राज के मुखिया भूपेश बघेल के हिरदे बढ़ उदार हे। छत्तीसगढ़ की बेटी माता कौशिल्या के मंदिर निर्माण से एक अउ शक्ति पीठ के निर्माण होइस हे। संगे संग जम्मों शक्ति पीठ अउ हमर पुरखा के चलागन (छत्तीसगढ़ की संस्कृति) के संरक्षण बर राज्य सरकार सरलग बूता करत हे। सरकार ले निवेदन हे सरकार नारी सम्मान अउ संस्कृति ल बचाय अइसने काम करत राहय।

लेखक- अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता एन. डी. मानिकपुरी

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