स्वामी विवेकानंद जयंती पर विशेष : गरियाबंद। मॉडर्न जमाने युवाओं की राह सामाजिक समरसता व धार्मिक क्षेत्र में बिरले ही दिखता है. देवभोग के गोहकेला निवासी 30 वर्षीय गौरीशंकर कश्यप पिछले 18 वर्षो से इसी राह पर चल रहा है. स्वामी विवेकानंद की किताबे पढ़ने के बाद कक्षा 10वीं से उनके आदर्शो का पालन करना शुरू किया.

किताबों में ज्ञान अर्जन के बाद गौरी ने अपने गांव के सभी सामाजिक लोगों को एक-एक मंच में लाने 2015 में प्रयास शुरू किया. क्षेत्र के प्रमुख पर्व नवाखाई में समरसता मटका फोड़ का आयोजन किया. खेल के बाद समूहिक रूप से भोजन भी करना था, इसके लिए गांव के प्रत्येक घरों से बने पकवान को एक जगह पर रखा गया,फिर इसी को सभी को वितरण किया.

पहली प्रयास में कुछ लोग जागरूक भी हुए, लेकिन इस पहल के लिए गौरीशंकर को उनके परिवार के साथ गांव से 3 वर्ष के लिए अलग कर दिया गया था. इस तीन वर्ष में गौरी का परिवार गांव के किसी भी आयोजन से दूर था. इस बीच गौरी बहीस्कार का दंश झेलता रहा. लेकिन समय के साथ गौरी की पहल को ग्रामीणों ने सही माना ओर 3 साल के भीतर सब कुछ सामान्य हो गया.

रामचरित मानस से समाजिक उत्थान में डिप्लोमा किया (स्वामी विवेकानंद जयंती पर विशेष)

गौरीशंकर कश्यप ने स्नातक, एल एल बी की शिक्षा के अलावा राम चरित्र मानस से समाजिक उत्थान विषय पर डिप्लोमा किया है. समाजिक कार्य के साथ अपना अध्ययन जारी रखा.इस दरम्यान जुलाई 2022 में पश्चिम बंगाल से भटक कर ट्रायसायकल में देवभोग पहुंचे गेंगरीन के मरीज अशोक नूष्कर को न केवल रायपुर में एक एनजीओ के सहारे उपचार कराया बल्कि उसके बिछड़े परिजन से भी मिलाया. अशोक का परिवार अभी भी गौरी के संपर्क में है.

जनवरी 2023 में परिवार द्वारा शमशान घाट के पास डेरा बना कर मरने के लिए छोड़ दिए गए कुष्ठ रोग के मरीज के दर्द से प्रशासन को अवगत कराया. गौरी समाजिक के अलावा धार्मिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर भाग लेते है. स्वामी विवेकानंद की तरह पोशाक पहने के अलवा राष्ट्रवादी कवि के रूप में अपनी अलग पहचान भी बनाया है. अपनी रचना की एक किताबे भी प्रकाशित कराया है.गौरी ने कहा की समाज सेवा से जुड़ी सिख जहा भी मिले उसे ग्रहण कर रहा हूं.उसका पालन सभी करे इसलिए उसका प्रचार प्रसार भी करते रहता हूं.

राम भक्त के रूप में जानते हैं गौरीशंकर कश्यप

बात वर्ष 2016 की है जब अपने ही एक सामाजिक सोशल मिडिया ग्रुप में भगवान राम पर किए गए टिप्पणी से अक्रोशित होकर गौरी शंकर ने टिप्पणी करने वाले के खिलाफ देवभोग थाने में अपराध पंजीबद्ध करा दिया था. इस पहल के बाद से सोशल मिडिया में चल रहे धार्मिक विमर्श पर रोक लग गया.