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फीचर स्टोरी। कभी ये गलियां नक्सलवाद की थीं. इन गलियों में लाल आतंक का साया था. जहां विकास रूठा हुआ था. इन गलियों में नक्सलियों की तनी बंदूक और बारूद से खुशियां मुरझा गई थीं, जो अब विकास की बयार से फिर खिलने लगी हैं. विकास के रास्ते ने सुकून परोसे हैं, जिसका जीता जागता उदाहरण ये तस्वीरें हैं, जो बदलते दंतेवाड़ा की खिलती तस्वीरों को निखार रही हैं. ग्रामीणों को झोपड़ी’वास’ से मुक्ति मिल रही है. सपनों के आशियाने हकीकत में बदल गए हैं. ग्रामीणों की जिंदगी में खुशिहाली आ रही है.
ये कहानी नारायणपुर, दंतेवाड़ा और कोरिया जिले की है. इनमें से नारायणपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना से नक्सल पीड़ित विस्थापित गंगाराम को सूकुन की छत मिली है. गंगाराम ने सरकार का आभार जताया है. जहां सिर छुपाने के लिए एक अदद छत का होना हर व्यक्ति की मौलिक आवश्यकताओं में से एक है और छत विहीन जीवन यापन करना पड़े तो इससे बड़ी विपदा और कुछ नहीं. और-तो-और बाहरी तत्वों की वजह से विस्थापन की व्यथा एक भुक्तभोगी ही समझ सकता है. जहां बसे-बसाये, घर-संसार, गांव-परिवार को छोड़ मजबूरीवश अन्यत्र शरण लेने के लिए विवश होना पड़ता है और फिर से अपने को परिस्थितियों के अनुरूप ढालते हुए एक नये बसाहट की शुरूआत करनी पड़ती है.
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इस बसाहट में भी सर्वप्रथम एक छत, चाहर दीवारी, कमरे पहली शर्त होते हैं. ऐसी स्थिति में खुद के घर होने की चाह पूरी होना किसी भी व्यक्ति को आल्हादित कर सकता है, जिसे उसकी सबसे बड़ी जरूरत होती है. इस क्रम में प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से पक्के घर का मालिक होने का सौभाग्य जनपद पचांयत नारायणपुर के ग्राम गरांजी निवासी गंगाराम को भी मिला.
इस संबंध में गंगाराम बताते हैं कि विगत दशकों में माओवादी हिंसा के चलते उन्हें अबूझमाड़ के दूरस्थ गांव के रहवासियों की तरह विस्थापित होने की आपदा झेलनी पड़ी. तब मुख्यालय के समीप गरांजी गांव में उन्हें आसरा मिला. जहां उसने जैसे-तैसे कच्चे मकान का निर्माण कर अपने जीवन को फिर पटरी में लाने का प्रयास किया.
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कच्चे मकानों की भी अलग-परेशानी, दिक्कतें होती ही हैं, जो अक्सर बरसात में टपकाव और सीलन के रूप में सामने आती हैं, फिर इससे बचाव के लिए हर साल वर्शा ऋतु के पूर्व खपरैल मकान की मरम्मत करने की कवायद गंगाराम जैसे अल्प आय व्यक्तियों के लिए भारी पड़ता ही है, फिर भी गंगाराम अपने कच्चे मकान को पक्का बनाने की कोशिश लगा रहा, लेकिन इसके लिए भारी भरकम खर्चे के अनुमान से उसके कदम पीछे हट जाते थे.
प्रधानमंत्री आवास योजना ने दी बड़ी राहत
ग्राम पंचायत के माध्यम से गंगाराम को योजना के तहत् एक लाख 30 हजार रूपये की राशि प्राप्त हुई. फलस्वरूप आज गंगाराम अपने परिवार के साथ एक पक्के मकान में निवासरत है. उसका कहना है कि इसके लिए वह हमेशा शासन का आभारी रहेगा. कुल मिलाकर पक्के मकान निर्माण के लिए जद्दोजहद करते ग्रामीणों समक्ष आज प्रधानमंत्री आवास योजना एक सुखमय जीवन का संदेश लेकर आई है. प्रदेश के हजारों ग्रामीणों के पक्के मकान में रहने के सपने को सच कर दिखाया है.
बदलते दंतेवाड़ा की खिलती तस्वीर
दंतेवाड़ा में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण से कई ग्रामीणों की जिंदगी बदल रही है. अब हर व्यक्ति का पक्के मकान का सपना साकार हो रहा है. ऐसे ही अपने पक्के आवास का सपना देखा था. ग्राम पंचायत बिंजाम की रहने वाली फुनकी बताती हैं. वे पहले अपने पुराने घर में रहती थी, जो कि बारिश से उनका घर गिर गया था. ऐसे स्थिति में पक्का आवास की कल्पना कर पाना मुश्किल था, लेकिन इस कल्पना को प्रधानमंत्री आवास योजना ने साकार किया.
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बता दें कि फुनकी एक बुजुर्ग विधवा महिला हैं. फुनकी के पति की मृत्यु पूर्व में हो चुकी थी. ऐसे में अकेले जीवन काटना मुश्किल था, लेकिन बुजुर्ग महिला ने अपने हौंसले से अपना जीवन जिया. फुनकी की आयु आज 55 वर्ष से अधिक की है. उनके परिवार में उनके बेटे बहू और पोते-पोतियां हैं. वे बताती हैं उन्हें वर्ष 2018-19 में प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया गया है.
इस योजना के तहत एक लाख 30 हजार रूपये की राशि प्राप्त हुई. फलस्वरूप आज फुनकी अपने परिवार के साथ एक पक्के मकान में रहती है. फुनकी अपने पुराने दिनों को याद कर भावुक हो जाती है. वे कहती है कि मेरे पति ने झोपड़ी में अपने दिन काट दिए. उन्होंने भी अच्छे घर में रहने का सपना देखा था. काश उनके रहते मेरा सपना पूरा होता वो आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन जहां भी होंगे हमें देख रहे होगें.
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उसका कहना है कि इसके लिए वह हमेशा शासन का आभारी रहेगी. आवास योजना एक सुखमय जीवन का संदेश लेकर आयी है. इसी तरह हिरानार के रहने वाले रामलाल को वर्ष 2019-20 में प्रधानमंत्री आवास योजना से लाभ मिला. वे कहते हैं कि उन्हें चार किस्तों में राशि मिलने से वे अपना घर बनाना शुरू किया. उनका एक साल में पक्का घर बनकर तैयार हो गया. वे अपने परिवार के साथ सकुशल जीवन व्यतीत कर रहे हैं. ऐसे ही प्रदेश के हजारों ग्रामीणों के पक्के मकान में रहने के सपने को प्रधानमंत्री आवास योजना ने सच कर दिखाया है.
कोरिया में टपकने वाली छत की कहानी
कोरिया के ग्रामीण परिवेश में आर्थिक स्थिति से जूझ रहे लोगों के लिए स्वयं का पक्का मकान एक सपना मात्र ही था. राज्य शासन द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दी गई सहायता से जिले के ऐसे कई परिवार खुशी-खुशी अपनों के साथ पक्के मकान में निवास कर रहे हैं.
इसी में विकासखण्ड सोनहत के ग्राम पंचायत कछाड़ी के निवासी जगलाल का परिवार है, जो वर्षों से पक्के मकान का सपना संजोए हुए था. जगलाल बताते हैं कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से वे कच्चे मकान को पक्का बनवाने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे, जितनी कमाई होती थी, वो 6 सदस्यीय परिवार के पालन-पोषण और बच्चों की पढाई में ही पूरी हो जाती थी.
प्रधानमंत्री आवास योजना से घर बनाने में मिली सहायता से खुश होकर जगलाल ने शासन को धन्यवाद दिया. उन्होंने बताया कि 2019-20 में उन्हें योजना का लाभ मिला, जिसके तहत चार किस्तों में कुल 1 लाख 30 हजार रुपए की सहायता से उन्होंने कच्चे मकान को पक्का बनवाया.
बारिश में टपकने वाली छत के पक्का बन जाने से पूरे परिवार में हर्ष है. वे कहते हैं कि यह योजना हमारे लिए वरदान की तरह है, जिससे हमारा साफ और सुंदर घर का सपना पूरा हुआ.
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