वैभव बेमेतरिहा, रायपुर. चुनावी साल में तालमेल जरूरी है, लेकिन कई अवसरों पर सत्ताधारी दल कांग्रेस में इसकी कमी दिखी है. छत्तीसढ़ में प्रभारी की जिम्मेदारी संभालने के बाद कुमारी सैलजा पार्टी के बैठकों में खुद इसे देखती और समझती रही हैं. कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं और विधायकों से चर्चा में सैलजा के सामने यह बात प्रमुखता से आई है कि सत्ता और संगठन के बीच कुछ हद तक खाई है. इस खाई को पाटने, दूरियों को मिटाने, संबंधों में सुधार लाने उच्च स्तर पर काम करना है और जरूरी है कि मंत्रियों से भी पूर्ण फीडबैक लिया जाए.

बुधवार 10 मई को कुमारी सैलजा ने इसकी एक बड़ी शुरुआत की. मंत्रियों से बैक टू बैक चर्चा कांग्रेस भवन में न होकर पहुना गेस्ट हाउस में हुई. अलग-अलग समय पर मंत्रियों से बंद कमरे में एक-एक कर बात हुई. 20 से लेकर 30 मिनट तक वन टू वन मुलाकात हुई. मंत्री अकबर से बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ और मंत्री टीएस के साथ खत्म. दोपहर 3 बजे से लेकर रात 8 बजे तक मैराथन चर्चा में भूपेश कैबिनेट के 2 मंत्री रविन्द्र चौबे और उमेश पटेल को छोड़कर शेष 10 मंत्री पहुँचे.

खास बात ये रही है कि पहुना में मंत्रियों के अलावा और किसी को आमंत्रित नहीं किया गया था. पहुना में सिर्फ बुलाए गए पहुना ही आए थे. रात के वक्त जरूर कुछ नाराज कार्यकर्ता शिकायत लेकर पहुँचे थे. वैसे शिकायत करने विधायक छन्नी साहू भी पहुँची थी, लेकिन प्रभारी से मुलाकात विधायक की नहीं हो पाई.

खबर है कि कुमारी सैलजा के पास संगठन से लेकर मंत्रियों की ओर से भी शिकायतें आई थी. खबर यह भी थी कि कुछ मंत्री प्रभारी से मिलकर अपनी बात रखना चाहते थे. बुधवार को मंत्रियों को अपनी बात रखने और प्रदेश प्रभारी को फीडबैक लेने का पूरा अवसर मिला. हालांकि सभी यही जानना चाहते हैं कि वन टू वन चर्चा में बंद कमरे के अंदर से बाहर क्या निकला ?

बाहर जो बाते प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा और मंत्रियों ने मीडिया के सामने कही उनमें यही कहा गया कि चुनावी तैयारियों पर चर्चा हुई है. बीते साढ़े चार साल के कार्यों की संक्षिप्त समीक्षा हुई है. कुमारी सैलजा ने कहा आगे भी इस तरह की चर्चा होती रहेगी. विधानसभा क्षेत्रों और विभागीय कार्यों को लेकर बात हुई है. संगठन के लिहाज कुछ महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए गए हैं.

मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया का कहना है कि प्रदेश प्रभारी की ओर से निर्देश मिले हैं. आगामी दिनों हमें किस तरह से काम करना है. समस्याओं का निराकरण पर जोर देना है. पार्टी को चुनाव के लिहाज कार्य क्षेत्र में मजबूत करना है. काम-काज को लेकर भी फीडबैक दिया गया है.

फिलहाल तो अभी स्पष्ट तौर पर कुछ साफ नहीं हुआ है, लेकिन चर्चाओं के बीच चर्चा यही है कि प्रदेश प्रभारी ने कुछ मंत्रियों के काम-काज को लेकर नाराजगी जताई है. जनता और कार्यकर्ताओं के बीच से रिपोर्ट अच्छी नहीं आने पर सवाल-जवाब हुआ है. काम-काज की समीक्षा के दौरान संगठन को तवज्जों नहीं मिलने की बात भी सामने आई है. खबर यह भी है कि प्रदेश प्रभारी ने मंत्रियों की जिम्मेदारी भी तय की है. और कहा गया है कि मंत्री जहाँ भी जाए संगठन को साथ में लेकर काम करे, कार्यकर्ताओं की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए.

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