फीचर स्टोरी. छत्तीसगढ़ 21 साल का हो गया है. इन 21 सालों में छत्तीसगढ़ ने काफी विकास किया है. 2000 से विकास का जो सफर शुरू हुआ था, वह निरतंर जारी है, लेकिन इन 21 सालों में जो 3 साल का सफर रहा है वो नवा छत्तीसगढ़ का रहा है. उस छत्तीसगढ़ का, जिसे भूपेश सरकार ने नए सिरे गढ़ रही है. इसलिए सरकार ने नारा ही ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ दिया है.

इस नवा छत्तीसगढ़ में क्या-क्या गढ़ा गया है ? क्या-क्या गढ़ा जा रहा है ? क्या-क्या गढ़ा जाएगा ? इस पर बात करेंगे. इस रिपोर्ट में आपको बताएंगे कि किस तरह से छत्तीसगढ़ में किसानों के साथ न्याय हुआ ? ग्रामीणों, युवाओं और महिलाओं के साथ न्याय हुआ. कैसे यह राज्य अब देश में मॉडल राज्य बनकर उभर रहा है ? कैसे यह राज्य जैविक राज्य की ओर आगे बढ़ रहा है ? कैसे आर्थिकमंदी के दौरे में राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होती चली गई ? कैसे कोरोना संकट के बावजूद अपने बलबूते पर यह राज्य अन्य राज्यों की तुलना में बेरोजगारी संकट से दूर रहा है ? कैसे वापस लौटा छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान ? कैसे यह राज्य अपनी भाषाई और सांस्कृतिक अस्मिता को पुनर्जीवित करने में सफल रहा है ?

सन् 2018 छत्तीसगढ़ में यह बदलाव का वक्त था. 15 साल के रमन सरकार के बाद में छत्तीसगढ़ भूपेश बघेल की सरकार आई थी. भूपेश सरकार सत्ता में 36 वादों के साथ आई. इन वादों में सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण वादा था किसानों से किया गया वादा. कर्ज माफी और 25 सौ रुपए धान खरीदी का वादा. भूपेश सरकार के गठन के कुछ घंटे में कर्ज माफी का वादा पूरा हो गया और कुछ महीने बाद 25 सौ रुपए में धान खरीदी भी. ऐसे कई वादे भी बीते तीन साल में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पूरा करते चले. आज इस रिपोर्ट में उन वादों की भी बात करेंगे.

भूपेश सरकार के इन सालों में राज्य में कुछ बदला हो या न बदला हो, लेकर आर्थिक ढांचा तो जरूर बदला है. किसानों की जेब में पैसे आए तो बाजार गुलजार हुआ. राज्य में व्यापार बढ़ा है और इससे रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं. छत्तीसगढ़ आज देश में एक नए मॉडल राज्य के तौर पर उभर कर सामने आया. फिर चाहे वह कृषि के क्षेत्र में हो या फिर उद्योग या व्यापार के क्षेत्र में. स्वच्छता के क्षेत्र में हो या फिर जैविक खेती को बढ़ावा देने के क्षेत्र में. राज्य का गोधन न्याय योजना और सुराजी (गौठान) योजना की चर्चा आज देश भर में है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं इन योजनाओं के जरिए बताते हैं कि कैसे उन्होंने प्रदेश में पारंपरिक और सांस्कृतिक उत्थान के साथ विकास की नई अवधारणा को प्रस्तुत किया है.

इन क्षेत्रों के साथ-साथ भूपेश बघेल ने प्रशासनिक सुलभता पर भी पूरा ध्यान दिया. बरसों पुरानी उन मांगों को भी पूरा किया जिसके लिए राज्य में कई दशकों से संघर्ष होता रहा है. बात नए जिले और तहसीलों की. राज्य सरकार ने 5 नए जिलों के साथ 72 नई तहसीलें बनाई. इसका सीधा फायदा अब स्थानीय लोगों को होगा. प्रशासन अब आमजनों के और नजदीक होगा. प्रशासन जितना पास, सरकार उतनी पास.

मेरी सबसे बड़ी सफलता….. – भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं कि, ‘मेरी तीन साल की सबसे बड़ी सफलता तो यही है कि आप लोग अपने अधिकारों, अवसरों और वास्तविक तरक्की को स्वयं महसूस कर रहे हैं, सच होते देख रहे हैं. खुशी है कि मैं कुछ सार्थक बदलाव करने में सफल हुआ हूं. आज विकास के छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा पूरे देश और दुनिया में है. मुझे विश्वास है कि जब हम अपने पुरखों के रास्ते पर चलते हैं और पुराने मूल्यों से छेड़खानी किए बगैर सुधार के साथ आगे बढ़ते हैं तो हम सफलता के शिखर पर पहुंचते हैं. हमने तीन वर्षों में गरीबों तथा कमजोर तबकों के लिए ऐसे प्रयास किए हैं, जिनके बारे में पहले कभी सोचा नहीं गया था. हाल में ही हमने 6 दिसंबर को बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस मनाया. 10 दिसंबर को अमर शहीद वीर नारायण सिंह जी का बलिदान दिवस था और 18 दिसंबर को गुरूबाबा घासीदास जी की जयंती मनाई. मैं इन विभूतियों को नमन करता हूं. हमारी नीतियों में सभी के आदर्श हैं. विगत तीन वर्षों में हमने कमजोर तबकों को बराबरी के अवसर देकर उनके बताए रास्ते पर चलने में सफल रहे हैं.’

आदिवासियों के साथ न्याय

दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने तीन वर्ष के कार्यकाल में हर वर्ग को लाभांवित करने का प्रयास किया है. इन प्रयासों के बीच छत्तीसगढ़ में हो रहे बदलावों को देखा जा सकता है. सरकार यह कहती है कि हमने ऐसी योजनाएं बनाई, जो वास्तव में आदिवासी अंचल हो व मैदानी क्षेत्र सभी का भला कर सके. लोहंडीगुड़ा में जमीन वापसी के साथ आदिवासियों और किसानों के लिए न्याय का आगाज हुआ. निरस्त वन अधिकार दावों की समीक्षा से हजारों निरस्त व्यक्तिगत दावों को वापस प्रक्रिया में लाया गया. तक 22 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि आदिवासी तथा परंपरागत निवासियों को दी जा चुकी है, जो 5 लाख से अधिक परिवारों के लिए आजीविका का जरिया बन गई है.

वनोपज संग्रहणकर्ताओं के साथ न्याय

इसी तरह से छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 2500 से बढ़ाकर 4000 रुपए प्रतिमानक बोरा करना ‘शहीद महेंद्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना’ लागू करने से वन आश्रित परिवारों की जिंदगी में नई रोशनी आई है. तीन साल पहले सिर्फ 7 वनोपज की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही थी. लेकिन अब 52 वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की गई है. इतना ही नहीं, 17 लघु वनोपजों के लिए संग्रहण पारिश्रमिक दर अथवा समर्थन मूल्य में अच्छी बढ़ोतरी भी की गई है.

किसानों के साथ न्याय

यही नहीं छत्तीसगढ़ में किसानों का वर्ग सबसे बड़ा वर्ग है. यह राज्य कृषि प्रधान राज्य है. लिहाजा राज्य सरकार ने किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए हैं. इसमें एक बड़ा काम जो सरकार बनते ही किया गया वो था कर्ज माफी का. दरअसल किसानों पर जो कर्ज का बोझ था, वो डिफाल्टरी का कलंक था, उसे कर्ज माफी से ठीक किया गया. सिंचाई पंप कनेक्शन लगाने का काम सुगम किया, सिंचाई के लिए निःशुल्क या रियायती दर पर बिजली प्रदाय का इंतजाम किया. धान ही नहीं बल्कि सारी खरीफ फसलों, उद्यानिकी फसलों, मिलेट्स यानी लघु धान्य फसलों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत इनपुट सब्सिडी के दायरे में लाया. पहले साल 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान का दाम दिया गया. बाद में राजीव गांधी किसान न्याय योजना प्रारंभ कर मई 2020 से किसानों को धान का 25 सौ रुपए देने का काम किया गया. इस साल 105 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती

राज्य सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का बड़ा काम किया है. इसमें सुराजी योजना अंतर्गत नरवा-गरवा, घुरवा-बारी, गोधन न्याय योजना के तहत काफी काम हुआ. मल्टीयूटीलिटी सेंटर, रूरल इंडस्ट्रियल पार्क और फूडपार्क की स्थापनाएं लगातार हो रही है. इन सबका संबंध गांवों और जंगलों के संसाधनों से आधारित उत्पादों से है. इसे बढ़ावा देने का काम सरकार लगातार कर रही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बीते तीन सालों में 80 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि गरीब तबकों के जेब में विभिन्न योजनाओं के जरिए डाली गई है.

तीन साल में करीब 50 लाख लोगों के लिए रोजगार

राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक राज्य के संसाधनों के राज्य में ही वेल्यूएडीशन को लेकर जब ठोस ढंग से काम शुरू हुआ और औद्योगिक विकास ने भी रफ्तार पकड़ी. यही वजह है कि तीन साल में 1 हजार 751 उद्योग लगे और 32 हजार 192 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला. इसी तरह से सरकारी तथा अर्द्धशासकीय कार्यालयों में बहुत से पदों पर तो 20 साल बाद स्थायी भर्ती की गई. करीब 4 लाख 67 हजार से अधिक नौकरियां दी गई. मनेरगा, स्व-सहायता समूहों, वन प्रबंधन जैसे अनेक क्षेत्रों को कन्वर्जेशन के माध्यम से रोजगार के अवसरों से जोड़ा गया, जिसके कारण 50 लाख से अधिक लोगों की रोजी-रोटी का इंतजाम हुआ. इसी तरह से शिक्षा के क्षेत्र में करीब 2 सौ स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोला गया. वहीं प्रशासन के क्षेत्र में 72 तहसीलों, 7 अनुभागों तथा 5 जिलों का गठन किया गया.

हमारा छत्तीसगढ़ मॉडल

राज्य सरकार को आदिवासी, किसान, महिला, बच्चों के लिए किए जन कल्याणकारी कार्यों के लिए बीते तीन साल में 25 राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं. स्वच्छता के लिए भी तीन साल में छत्तीसगढ़ को लगातार तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है. मुख्यमंत्री बघेल ने कहते हैं कि ‘हमारा छत्तीसगढ़ मॉडल, समावेशी विकास का ऐसा मॉडल है, जिसके मूल में सद्भाव, करुणा तथा सबकी भागीदारी है. छत्तीसगढ़ ने तीन वर्षों में यह साबित कर दिखाया है कि छत्तीसगढ़ के लोगों को सिर्फ अपने राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में नई और सही सोच के साथ काम करने वाले लोगों के रूप में पहचाना जाएगा.’

वास्तव में छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल का यह तीन वर्ष चुनौतियों के बीच संघर्ष और हर्ष का रहा है. नवा छत्तीसगढ़ में नव उत्कर्ष का रहा है.