रायपुर। रायपुर के देवेंद्र नगर स्थित श्री नारायणा हॉस्पिटल में 20 और 21 मई को दो-दिवसीय स्पाईग्लास कॉलेन्जियोस्कोपी वर्कशॉप का आयोजन किया गया. सुप्रसिद्ध गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. भाविक शाह ने कोलेन्जियोस्कोपी के बारे में बताया कि यह पांच मिलीमीटर से भी छोटी एक दूरबीन होती है, जो पित्त की नली में जाकर वहाँ की बीमारियों को ठीक कर सकती है.

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इस दो दिवसीय वर्कशॉप में एक मरीज की पित्त की नली में कई दिनों से एक बड़ी सी पथरी फंसी हुई थी, ईआरसीपी द्वारा लगातार तीन बार प्रयास करने के बावजूद भी यह पथरी नहीं निकल पा रही थी, यहाँ तक कि मरीज को किसी अन्य हास्पिटल में पेट को खोलकर ऑपरेट करने का भी सुझाव दिया गया, लेकिन श्री नारायणा हॉस्पिटल में डॉ. भाविक शाह ने कोलेंजियोस्कॉपी द्वारा पहले इस पथरी को तोड़कर छोटे-छोटे टुकड़े किए और उसके बाद पथरी को वहां से पूरी तरह से निकाल दिया.

इसी तरह एक अन्य मरीज की पांच साल पहले ईआरसीपी हुई थी, जिसमें मरीज को पित्त की नली में एक स्टेंट डाला गया था, मरीज स्टैंट को निकलवाना ही भूल गया, इसके बाद पिछले 6 महीने से उन्होंने अलग-अलग हॉस्पिटल्स जाकर ईआरसीपी द्वारा इस स्टैंट को निकालने की भरसक कोशिश की, लेकिन कहीं पर भी सफलता नहीं मिली.

तमाम हॉस्पिटल्स ने उनका पेट खोलकर ही सर्जरी करने का एकमात्र इलाज बताया, लेकिन यहां श्री नारायणा हॉस्पिटल की इस विशेष कोलेन्जियोस्कॉपी वर्कशाप में मरीज का पुराना स्टैंट सफलतापूर्वक निकाल दिया, वो भी बिना ऑपरेशन के और बिना किसी अन्य तकलीफ के, ऐसे और भी अन्य चार मरीजों को कोलेन्जियोस्कोपी वर्कशॉप में स्वास्थ्य लाभ मिला.

श्री नारायणा हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ सुनील खेमका ने कॉलेंजियोस्कोपी के बारे में बताया कि इस उन्नत टेक्निक से बिना ऑपरेशन, बिना पेट में चीरा लगाए, सिर्फ डे-केयर बेसिस पर ही मरीज शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं, और ऐसे वर्कशॉप का आयोजन हम यहां श्री नारायणा हास्पिटल में लगातार आयोजित करते रहेंगे.