रायपुर. व्यक्ति को चाहें वह किसी भी उम्र का हो, जीवन में सफलता और सुख प्राप्त करना हो तो उसे कर्म और व्यवहार संतुलित रखना चाहिए. सही समय पर सही कर्म और सही स्थान पर सही व्यवहार ही जीवन में शांति और समृद्धि प्रदान करती है. अतः प्रारंभ से ही जातकों को आत्मानुशासन का पालन करना ही जीवन में समृद्धि और यश का एकमात्र जरिया है. अतः किसी भी व्यक्ति के आत्मानुशासन को ज्योतिष में लग्न, तीसरे और एकादश स्थान से देखा जाता है.
अगर ये स्थान उच्च, अनुकूल और सौम्य ग्रहों के साथ हों तो व्यक्ति अनुशासन में रहकर अनुकूल दिशा में बढ़ता है. वहीं पर यदि इन क्षेत्रों पर क्रूर ग्रहों और प्रतिकूल स्थिति में हो जाए तो उसके जीवन में अनुशासन और व्यवहार दुषित हो सकता है.
किसी भी जातक को आत्मानुशासन को सर्वोपरी रखते हुए कर्म और काल का पालन करना चाहिए और उसके लिए कुंडली के ग्रहों का विष्लेशण कराकर उक्त ग्रहों और इन ग्रहों की दशाओं को ज्ञात कर उचित ज्योतिषीय उपाय द्वारा सफलता प्राप्त कर जीवन में सुख और समृद्धि के स्तर को सुधारा जा सकता है. इसके लिए नियमित ग्रन्थ का अध्ययन करें, दान करें, सूर्य नमस्कार करें, गणेशजी की पूजा करें और नियमित रहें.