सुप्रीम कोर्ट में आवारा कुत्तों के केस पर सुनवाई हुई। जहां कोर्ट ने कहा- हम सरकारी कैम्पस में कुत्तों को खाना खिलाने के नियम के लिए निर्देश जारी करेंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होने से भी राहत दे दी। सभी राज्यों ने अपने हलफनामे पेश कर दिए हैं। अब मुख्य सचिवों की व्यक्तिगत पेशी की जरूरत नहीं होगी। अगर हलफनामे में चूक हुई, तो उन्हें पेश होना पड़ेगा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आवारा कुत्तों के केस की सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के मुख्य सचिवों को छोड़कर बाकी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सीएस मौजूद रहे। कोर्ट ने इस दौरान कहा-7 नवंबर को केस में फैसला सुनाएंगे।
सिर्फ केरल के सीएस नहीं पहुंचे
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजनिया की तीन जजों वाली विशेष बेंच ने दर्ज किया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव अदालत में मौजूद हैं। हालांकि, केरल के मुख्य सचिव की जगह प्रधान सचिव पहुंचे थे, जिसे लेकर आवेदन को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। इस दौरान बेंच ने आंध्र प्रदेश की ओर से पेश वकील से पूछा कि पिछली सुनवाई की तारीख पर अनुपालन हलफनामा क्यों पेश नहीं किया गया।
पशु कल्याण विभाग के बनाएं वादी
सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में पशु कल्याण विभाग को भी वादी बनाए जाने को कहा। इस बीच सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि अधिकांश राज्यों ने अपने अनुपालन हलफनामे पेश कर दिए हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केस में 7 नवंबर को फैसला सुनाने की बात कही।
…तो मुख्य सचिव को आना होगा
सुनावाई के दौरान कोर्ट ने आदेश दिया कि इस तारीख को मुख्य सचिवों की सशरीर पेशी जरूरी नहीं होगी। हालांकि, कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि अगर उसके आदेश के अनुपालन में कोई कमी की जाती है तो वह फिर से मुख्य सचिवों को पेशी के लिए बुला सकता है।
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