इन दिनों संसद में स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियों को शिफ्ट करने के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच विवाद जारी है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने जानबूझकर मूर्तियों को किनारे पर शिफ्ट किया है ताकि विपक्षी सांसद वहाँ एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन न कर सकें. सरकार की ओर से इस आरोप पर जवाब भी आया है. लोकसभा स्पीकर का कहना है कि मूर्तियों को हटाया नहीं गया है, बल्कि उन्हें एक स्थान पर स्थानांतरित किया गया है ताकि लोगों को इन महान शख्सियतों के बारे में जानने में आसानी हो.

विपक्ष का विरोध क्यों?

पहले महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर की मूर्तियाँ संसद परिसर में प्रमुख स्थानों पर थीं, जहाँ विपक्षी नेता विरोध प्रदर्शन करते थे. कांग्रेस नेता जयराम रमेश का कहना है कि इन मूर्तियों को शिफ्ट करने का मुख्य कारण यह है कि ये मूर्तियाँ संसद भवन के प्रमुख स्थान पर न रहें, ताकि सांसद वहाँ शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन न कर सकें.

मूर्तियाँ क्यों शिफ्ट की गईं?

स्पीकर ओम बिरला के अनुसार, “सभी मूर्तियों को प्रेरणा स्थल में शिफ्ट किया गया है, जो पुराने संसद भवन और संसद पुस्तकालय भवन के बीच लॉन में स्थित है. यह स्थल पूरे साल विजिटर्स के लिए खुला रहेगा. इससे आने वाले लोग स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को जान सकेंगे. इसके अलावा, इन महान व्यक्तियों की जीवन गाथाओं और संदेशों को नई तकनीक के माध्यम से विजिटर्स तक पहुंचाने का प्लान है.”

किए गए बदलाव

नए संसद भवन के निर्माण के दौरान महात्मा गांधी, मोतीलाल नेहरू और चौधरी देवी लाल की प्रतिमाओं को परिसर के अंदर अन्य स्थानों पर ले जाया गया है. प्रेरणा स्थल पर प्रतिमाओं के चारों ओर लॉन और उद्यान बनाए गए हैं ताकि विजिटर्स आसानी से उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें और क्यूआर कोड का उपयोग करके जानकारी प्राप्त कर सकें.

मूर्तियाँ साथ होने का लाभ

विपक्ष द्वारा मूर्तियाँ हटाने के आरोप पर स्पीकर ओम बिरला ने स्पष्ट किया, “किसी भी मूर्ति को हटाया नहीं गया है, बल्कि उन्हें दूसरी जगह स्थापित किया गया है. इससे उनके जीवन और उपलब्धियों के बारे में बेहतर तरीके से जानकारी मिल सकेगी. इस पर राजनीति करने की जरूरत नहीं है.”

प्रेरणा स्थल का उद्घाटन

रविवार, 16 जून को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया. इस अवसर पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, अश्विनी वैष्णव, अर्जुन राम मेघवाल और एल मुरुगन मौजूद थे. लोकसभा सदस्य जगदंबिका पाल और राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा भी समारोह में उपस्थित थे.

सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव

अब तक संसद परिसर की सुरक्षा की जिम्मेदारी संसद सुरक्षा सेवा, दिल्ली पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के पास थी. लोकसभा स्पीकर के अनुसार, अब संसद की सुरक्षा व्यवस्था को अन्य परिसरों की सुरक्षा से अलग करने के लिए CISF कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है.