रायपुर- कवासी लखमा छत्तीसगढ़ के सियासत में वो नाम है,जिसे राजनीति को जानने वाले बहुत अच्छे से जानते हैं. कवासी लखमा का निक नेम दादी है और इस नाम से न केवल बस्तर में बल्कि राजधानी रायपुर में भी प्यार से  पुकारे जाते हैं. दादी नाम से पुकार सुनने पर कवासी का रिस्पांस भी उतना ही जबरदस्त होता है और वो पूरी उन्मुक्तता से लोगों से मिलते हैं. भले ही कवासी ने अपनी प्रारंभिक परिस्थितियों के चलते शिक्षा-दीक्षा हासिल नहीं की है,लेकिन राजनीति और शासन-प्रशासन के संबंध में अपने जुझारुपन से जो विशेषज्ञता हासिल कर ली है,वह काबिले तारीफ है.
भूपेश सरकार में बस्तर से एक मात्र विधायक को मंत्रिमंडल में स्थान मिला है और वो नाम कवासी लखमा का है. भूपेश कैबिनेट में उन्हें उद्योग एवं आबकारी मंत्री की हैसियत दी गई है. कवासी लखमा कोंटा विधानसभा से निर्वाचित विधायक हैं। वे पांचवी बार विधायक के रूप में निर्वाचित हुए हैं. उनका जन्म सन् 1953 में ग्राम-नागारास, जिला-सुकमा में एक सामान्य आदिवासी परिवार में हुआ था. जटिल भौगोलिक एवं सामाजिक परिस्थितियों के चलते इन्होंने प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण नहीं की,लेकिन बचपन से ही सामाजिक तौर पर वे बेहद सक्रिय थे.
कवासी लखमा के सार्वजनिक जीवन की शुरूआत ‘सरपंच ’पद से हुई थी.उन्हें दो बार उत्कृष्ट सरपंच के पुरस्कार से भी नवाजा गया था. बस यहीं से कवासी लखमा के राजनीतिक जीवन को उड़ान मिलनी शुरु हुई और वे लगातार आगे बढ़ते गये. सबसे पहले अविभाजित मध्यप्रदेश में वर्ष 1998 में कांग्रेस ने उन्हें कोंटा से टिकट दिया और वे विधायक के रूप में प्रथम बार निर्वाचित हुए थे. उसके बाद निरंतर वर्ष 2003, 2008, 2013 और वर्तमान में वर्ष 2018 में पांचवी बार विधायक के रूप में निर्वाचित हुए हैं. विधानसभा में वे एक मुखर वक्ता के रुप में जाने जाते हैं. वे वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ विधानसभा के याचिका समिति, प्रत्यायुक्त विधान समिति में सदस्य बनाये किए गए थे. साथ ही राज्य नागरिक आपूर्ति निगम में संचालक के दायित्व पर भी थे. कवासी लखमा वर्ष 2002 में जिला सहकारी एवं ग्रामीण विकास बैंक जगदलपुर में अध्यक्ष नियुक्त किये गए. वर्ष 2004 में छत्तीसगढ़ विधानसभा के सहकारी उपक्रम संबंधी समिति, याचिका समिति के सदस्य और वर्ष 2009 में गैर सरकारी सदस्यों की विधेयकों तथा संकल्प समिति के सदस्य थे. आबकारी मंत्री कवासी लखमा आदिवासियों के कल्याण-उत्थान तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में निरंतर सक्रिय रहे हैं.