कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी ने निर्णय लिया है कि अब यदि शहरी क्षेत्र में ट्रांसफार्मर फेल होंगे तो संबंधित ट्रांसफार्मर की रिपेयरिंग में जितना पैसा खर्च होगा। उसकी राशि संबंधित जोन के जेई-एई (AE-JE) की सेलरी से वसूली जाएगी। इसके लिए बकायदा 25 केवीए से लेकर 500 केवीए तक के ट्रांसफार्मरों की रिपेयरिंग में खर्च होने वाली राशि की जेई-एई की सैलरी से 20 फीसदी पेनल्टी राशि वसूली जाएंगी। पूरी सूची आदेश के साथ अधिकारियों को भेज दी गई है। नई व्यवस्था एक नवंबर से लागू कर दी जाएगी।

जानकारी ऐसी मिली है कि कंपनी में इस निर्णय का विरोध शुरू हो गया है। कर्मचारी संगठनों ने कंपनी को गलत और तानाशाही बताया है। वहीं प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रघुम्न सिंह तोमर कह रहे हैं की निर्बाध बिजली की सप्लाई हो, किसी को परेशानी ना हो, इसलिए बिजली कंपनी ने ध्यान में रखते हुए यह फैसला ले रही है। दरअसल इस आदेश के तहत 2022-23 फेल हुए ट्रांसफार्मरों की संख्या की तुलना साल 2021-22 में फेल हुए ट्रांसफार्मरों की संख्या से मिलान किया जाएगा।

यदि यह संख्या अधिक निकली तो फिर सर्किल के महाप्रबंधक को और मुख्य प्रबंधकों पर भी कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी। बिजली कंपनियों का मानना है,ट्रांसफार्मर के मॉनिटरिंग से संबंधित जोन के एई-जेई की कई बार लापरवाही समाने आयी है। जिसके कारण ही ट्रांसफार्मर फेल होते हैं, लोगों को परेशानी का समाना करना पड़ता है। साथ ही बिजली कंपनी को ट्रांसफार्मरों की रिपेयरिंग पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है। इसलिए इस तरह का आदेश जारी किया गया है।

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