जीएस भारती, सीहोर। अजब गजब मध्यप्रदेश के सहकारिता विभाग में करोड़ों का घोटाला सामने आया है, जहां एक समिति प्रबंधक ने अन्य कर्मचारियों के साथ मिलकर दस्तावेज में गड़बड़ी कर कई किसानों के नाम करोड़ों रुपए का ऋण निकाल लिया। हद तो तब हो गई जब जेल में बंद कैदियों के नाम से फर्जी दस्तावेज लगाकर लोन निकाल लिया गया। इसका खुलासा कैदियों की जेल से रिहाई के बाद हुआ।

जानकारी के अनुसार सीहोर की कृषि साख सहकारी समिति सिराड़ी के प्रबंधक गुलाब सिंह मीणा पर किसानों ने फर्जी तरीके से करोड़ों रुपए का लोन निकालने का आरोप लगाया है। किसानों ने बताया कि समिति प्रबंधक ने समिति के अन्य कर्मचारियों के साथ मिलकर कई किसानों के नाम पर फर्जी लोन ले लिया। प्रबंधक ने उन लोगों को भी लोन दे दिया जिनके पास कृषि भूमि ही नहीं है। उन किसानों के दस्तावेजों में फर्जी तरीके से जमीन दिखाकर लोन निकाल लिया गया। बाद में फर्जी तरीके से उन सभी किसानों के ऋण माफी योजना में पूरा लोन भी माफ करा दिया। मामले की शिकायत पर विभाग ने जांच के नाम पर मामले को अटका रखा है।

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इतना ही नहीं समिति प्रबंधक ने एक ऐसे परिवार के लोगों के नाम भी लोन निकाल लिया जिस दौरान वे जेल में सजा काट रहे थे। किसान धनवीर सिंह दांगी ने बताया कि मैं मेरा छोटा भाई और मेरे पिता साल 2001 से सेंट्रल जेल भोपाल में हत्या के आरोप की सजा काट रहे थे। जब हम जेल से रिहा होकर आए तो हमें पता चला कि हमारे नाम पर सहकारी समिति में लाखों रुपए का लोन निकल चुका है। इस संबंध में भी कई शिकायत विभाग एवं अन्य जगह की गई परंतु अभी तक इसका समाधान नहीं हो पाया है।

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इस मामले की शिकायत पर सीहोर कलेक्टर प्रवीण सिंह ने समिति प्रबंधक को निलंबित कर दिया है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही पूरे मामले पर जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। जिले में सहकारिता विभाग का भ्रष्टाचार का यह पहला मामला नहीं है इससे पहले भी कई मामले उजागर हुए है। एक मामले में तो जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष रमेश सक्सेना एव 18 कर्मचारियों को न्यायालय से सजा भी सुनाई जा चुकी है। इसके बाद भी सहकारिता विभाग के कर्मचारियों को किसी प्रकार का डर नहीं है। अब देखने वाली बात यह होगी कि निष्पक्ष जांच कर आरोपियों को सजा दी जाएगी या मामले में लीपापोती कर इस तरह के भ्रष्टाचार को अंजाम देते रहेंगे।

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