चंद्रकांत देवांगन, अहिवारा। आप रील लाइफ के हीरो-हिरोइनों को अक्सर रुपहले पर्दे या छोटे पर्दे पर देखते होंगे. उनके बारें में मीडिया और अखबारों में देखते पढ़ते भी होंगे लेकिन कुछ लोग होते हैं जो मुश्किलों के आगे घुटने नहीं टेकते बल्कि मुश्किलों से लड़ते हुए उसे हरा देते हैं. ये ही समाज के असली हीरो होते हैं जो लोगों को अंधेरी में डूबी जिंदगी में रोशनी की कोई किरण दे जाते हैं. ऐसे रियल लाइफ के हीरो-हिरोइनों को मीडिया में कम ही जगह मिल पाती है. हमारा प्रयास है कि हम ऐसे लोगों को आपके सामने लाएं जिन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में खुद के जीवन में रोशनी लाई और लोगों को चुनौतियों से लड़ने का उदाहरण दिया. हालांकि ये बेहद छोटी कहानी है लेकिन इसमें जज़्बा और संघर्ष है. ऐसी कहानियां मौजूदा तनाव भरे दौर में हार मान रहे युवाओं के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है.

हम बात कर रहे हैं राजधानी रायपुर से लगे हुए दुर्ग जिले के अहिवारा विधानसभा में रहने वाले निखिल शाह की. निखिल शाह के घर में उसके माता-पिता और एक छोटा भाई है. भाई पांचवी कक्षा में पढ़ता है, पिता एक स्कूल में चपरासी की नौकरी करते हैं. निखिल ने पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. निखिल के मन में भी कई तरह के ख्वाब थे. वह भी पढ़ लिख कर दूसरे युवाओं की तरह डॉक्टर-इंजनीयर बनने का सपना संजो कर रखा था. लेकिन पिता की कम आमदनी की वजह से घर का खर्चा ठीक से चल नहीं पा रहा था ऐसे में दोनों भाईयों की पढ़ाई पिता के लिए एक बड़ी चुनौती थी.

माता-पिता को अक्सर इसी चिंता में डूबा देख कर निखिल अंदर ही अंदर तड़प उठता था. आखिरकार उसने एक दिन पढ़ाई छोड़ पैसा कमाने के लिए काम करने का फैसला ले लिया. पैसो की वजह से अपनी पढाई न कर पाने वाले निखिल को यह चिंता थी की यही समस्या उसके भाई के सामने न आ जाए उसने निश्चय कर लिया था की अब घर परिवार की ताकत बनकर वो कुछ काम करेगा जिससे परिवार की आमदनी बढ़े. 11 वीं की पढ़ाई के बाद निखिल ने पढ़ाई छोड़ दी और वह काम की तलाश में दिन भर घूमने लगा. इसी बीच गांव के कुछ दोस्तों ने उसे लाइवलीहुड कॉलेज के बारे में जानकारी दी.

जहाँ युवाओ को सरकार की योजना के द्वारा मुफ्त में प्रशिक्षण दिया जाता है. निखिल लाइवलीहुड कॉलेज में प्रशिक्षण के लिए दाखिला ले लिया. जहां उसने रेफ्रिजरेशन और एसी रिपेयरिंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया. ट्रेनिंग के बाद ही निखिल को भारत रेफ्रिजरेशन में काम मिल गया. वो पिछले 8 महीनों से तकनीशियन के तौर पर कार्य कर रहा है. इसके अलावा वह नौकरी के बाद लोगों को अपनी निजी सेवाएं दे रहा है. दोनों जगहों से उसे हर महीने 15 से 20 हजार रुपए की आमदनी हो जा रही है. हालांकि यह आमदनी बहुत ज्यादा तो नहीं है लेकिन उसके परिवार के लिए एक बड़ा सहारा जरुर है. निखिल अब अपने परिवार की ताकत बनकर अपने सपनो को पूरा कर रहा है वहीं आत्मनिर्भर बनकर अब वह बहुत ही ख़ुशहाल ज़िन्दगी जी रहा है.