रायपुर–  कुपोषण के खिलाफ निर्णायक जंग लड़ने के लिये मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में शुरु किये गये मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का सकारात्मक असर साल भर के अंदर ही दिखाई देने लगा है. 06 वर्ष तक आयु वर्ग के बच्चों को कुपोषण एवं एनीमिया तथा 15 से 49 वर्ष आयु के महिलाओ को एनीमिया से मुक्त कराने के लिए पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान 02 अक्टूबर 2019 से जन सहयोग एवं जनभागीदारी से प्रारंभ किया गया था जिसे अब मुख्यमंत्री सुपोषण योजना को नाम से संचालित किया जा रहा है.इस अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन के चलते अब दूरदराज के इलाकों में उल्लेखनीय परिवर्तन दिखाई देने लगा है और यहां के लोग सुपोषण के प्रति जागरुक होने लगे हैं.भूपेश सरकार के इस अभियान से जुड़कर लोग कुपोषण को मात देने में जी जान से जुटे हैं.

छत्तीसगढ़ में ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान‘ और विभिन्न योजनाओं के एकीकृत प्लान से बच्चों में कुपोषण दूर करने में बड़ी सफलता मिली है. साल 2019 में किये गये वजन त्यौहार से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित थे, इनमें से मार्च 2020 तक 67 हजार 889 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं. इस तरह कुपोषित बच्चों की संख्या में लगभग 13.79 प्रतिशत की कमी आई है,जो कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में एक बड़ी उपलब्धि है. बहुत ही कम समय में ही कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी का श्रेय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व सहित उनकी दूरदर्शी सोच को जाता है.

छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की दर को देखते हुए प्रदेश को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने अभियान की शुरूआत की. राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार प्रदेश के 5 वर्ष से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 वर्ष की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थे. इन आंकड़ों को देखे तो प्रदेश में 9 लाख 70 हजार बच्चे कुपोषित थे. इनमें से अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचल इलाकों के बच्चे थे. इन आंकड़ों को नयी सरकार एक चुनौती के रूप में लिया और ‘कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़’ की संकल्पना के साथ महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 से पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की है. अभियान की सफलता के लिए इसमें जन-समुदाय को भी शामिल किया गया है.
Image may contain: 2 people, text that says "দ शासत छत्तीसगढ़ में सरुपोषण अभियान को मिली बड़ी सफलता 67 हजार से अधिक बच्चे हुए कुपोषण से मुक्त कुपोषितब 13.79 प्रतिशत की आई कमी मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान और एकीकृत प्लान से मिली सफलता सुपोषित /ChhattisgarhCMO"
प्रदेश के नक्सल प्रभावित बस्तर सहित वनांचल के कुछ ग्राम पंचायतों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सुपोषण अभियान की शुरूआत की गई. दंतेवाड़ा जिले में पंचायतों के माध्यम से गर्म पौष्टिक भोजन और धमतरी जिले में लइका जतन ठउर जैसे नवाचार कार्यक्रमों के जरिए इसे आगे बढ़ाया गया. जिला खनिज न्यास निधि का एक बेहतर उपयोग सुपोषण अभियान के तहत गरम भोजन प्रदान करने की व्यवस्था की गई. इसकी सफलता को देखते हुए सीएम भूपेश बघेल ने इस अभियान को 2 अक्टूबर से पूरे प्रदेश में लागू किया. इस अभियान के तहत चिन्हांकित बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्र में दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार के अतिरिक्त स्थानीय स्तर निःशुल्क पौष्टिक आहार और कुपोषित महिलाओं और बच्चों को गर्म पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई है. एनीमिया प्रभावितों को आयरन पोलिक एसिड, कृमिनाशक गोली दी जा रही है. प्रदेश को आगामी 3 वर्षों में कुपोषण से मुक्त करने का लक्ष्य के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों द्वारा समन्वित प्रयास किये जा रहे हैं.
कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए सभी आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों को बंद किया गया था और ऐसी स्थिति में बच्चों और महिलाओं के पोषण स्तर को बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम प्रदेश के 51 हजार 455 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लगभग 28 लाख 78 हजार हितग्राहियों को घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट पोषक आहार का वितरण सुनिश्चित कराया गया था. मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत हितग्राहियों को गर्म भोजन के स्थान पर सूखा राशन वितरित करने की व्यवस्था की गई है. इसके तहत मई माह तक तीन लाख 47 हजार हितग्राहियों को सूखा राशन प्रदान किया गया है.
विश्व बैंक ने भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा कोरोना वायरस के नियंत्रण के साथ ही टेक होम राशन वितरण कार्य की प्रशंसा की है. छत्तीसगढ़ में महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे सभी महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित भवन में ठहराकर उनके टीकाकरण, आवश्यक दवाई, स्वास्थ्य परीक्षण की पुख्ता व्यवस्था भी की गई.
कुपोषण प्रभावित बच्चों और महिलाओं को निःशुल्क काउंसलिंग और परामर्श सेंवाएं देने के साथ नियमित मॉनिटरिंग भी की जा रही है. सुपोषण रथ, शिविरों और परिचर्चा के माध्यम से जनजागरूकता के प्रयास भी हो रहे हैं. इसी की एक कड़ी के रूप में एनीमिया के स्तर और स्वास्थ्य सुधार के लिए बस्तर जिले में शुरू किये गए मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान और स्कूल शिक्षा विभाग अंतर्गत किचन गार्डन बागवानी को पोषण के लिए अनूठी राह बताते हुए यूनिसेफ ने सराहना की है.

नोवल कोरोना वायरस संक्रमण के बचाव एवं नियंत्रण के लिए प्रदेश में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों को माह मार्च से बंद कर दिया गया था. कोरोना काल में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा घर-घर जाकर सूखा राशन का वितरण किया गया. राज्य शासन द्वारा कुपोषण की रोकथाम के लिए कारगर कदम उठाये हुए बच्चां के पोषण स्तर को बनाये रखने तथा स्वास्थ्य सुविधा के लिए अब आंगनबाड़ी केन्द्रों को 07 सितम्बर से पुनः प्रारंभ कर दिया गया है.वर्तमान में राष्ट्रीय पोषण माह योजनांतर्गत आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से गरम भोजन की सेवाऐं प्रारंभ करने के लिए योजना बनाकर कार्य किया जा रहा है, जिसके तहत सभी आंगनबाड़ी केन्द्र खोले गये हैं. कंटेनमेंट जोन में आने वाले आंगनबाड़ी केन्द्रों को बंद रखने का निर्णय लिया गया है. आंगनबाड़ी केन्द्रों को संचालन करने के पूर्व सेनेटाईजेशन कर ब्लीचिंग पाउडर से सफाई किया गया है.आंगनबाड़ी केन्द्र में हितग्राहियों को प्रवेश करने के पूर्व साबुन से हाथ धुलाई तथा सेनेटाईज कराया जा रहा है, भोजन बनाने के पूर्व बर्तनों को गरम पानी से सफाई करवाया जा रहा है. भोजन परोसते समय थाली में आवश्यकतानुसार पत्तल एवं केला पत्ता रखा जा रहा है, गर्भवती एवं एनिमिक हितग्रहियों को आंगनबाड़ी केन्द्रों में अलग-अलग समय पर बुलाया गया है ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके.

बिलासपुर जिले में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान काफी सफल साबित हुआ है. अभियान के प्रथम चरण में बिलासपुर जिले के में चिन्हित 26 हजार 816 कुपोषित बच्चों में से लगभग 15 प्रतिशत बच्चे सुपोषित हो गए है. बिलासपुर जिले के महिला एवं बाल विकास अधिकारी ने बताया कि कुपोषण मुक्ति के लिए संचालित पूरक पोषण आहार कार्यक्रम, महतारी जतन योजना, मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना एवं मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के सफल क्रियान्यवन से विगत तीन वर्षाें के भीतर कुपेाषण दर में 4.59 प्रतिशत की कमी आई है. वर्ष 2018 में जिले में कुपोषण का प्रतिशत 26.67 था, जो 2020 में घटकर 16.08 प्रतिशत हो गया है.

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत गरियाबंद जिले के छुरा परियोजना के सेक्टर सोरिद अंतर्गत वंनाचल क्षेत्र में स्थित ग्राम वन लोहझर-02 (करपीदादर) आंगनबाड़ी केंद्र में उल्लेखनीय काम हुआ और इस काम में आशातीत सफलता भी मिली है. यहां मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत मिले पौष्टिक आहार, बिस्कीट, सोया,चिकी और देवभोग ‘घी‘ का असर साफ दिखने लगा है.आज से छः माह पहले इस केन्द्र में 1 गंभीर कुपोषित और 2 मध्यम कुपोषित बच्चे दर्ज थे. सतत निगरानी,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तथा पर्यवेक्षक के मेहनत से तीन माह में ही सभी बच्चे सामान्य श्रेणी में आ गए है. सेक्टर की पर्यवेक्षक खिलेश्वरी साहू बताती है कि इस केन्द्र में छः माह से तीन वर्ष के कुल 14 बच्चे और तीन से छः वर्ष के कुल 15 बच्चे दर्ज है.इस केंद्र में तीन कुपोषित बच्चों खुमेश कुमार,संजय और राजलक्ष्मी को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए उच्च अधिकारियों के मार्गदर्शन में हम सब एक टीम की तरह एक जुट हुए और लगातार इन बच्चों पर केन्द्रित होकर कार्य करते रहे.

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और मितानिन के द्वारा बच्चों के घर जाकर लगातार सम्पर्क किया गया एवं बच्चों की देखभाल,साफ-सफाई, स्वच्छता, स्वास्थ्य आदि के बारे में प्रदर्शन और समझाइश दी गई. इससे  बच्चों के स्वास्थ्य में काफी सुधार देखा गया और वे पूरी तरह कुपोषण से मुक्त हो गए. उन्होंने बताया कि इसके अलावा आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को विभिन्न गतिविधियों के द्वारा शिक्षा भी दिया जा रहा है. इससे उनके शरीरिक और मानसिक विकास होता है. कुल मिलाकर मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की सार्थकता साबित हो रही है.

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को पूरे प्रदेश में पहले साल में जिस तरह से सफलता मिल रही है,उससे ये उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दो साल में इस अभियान को लक्ष्य के अनुरुप सफलता मिल सकेगी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नियमित अंतराल में इस अभियान की समीक्षा कर रहें हैं और सतत मानिटरिंग कर जिला प्रशासन और महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों का मार्गदर्शन कर रहें हैं.जाहिर है मुख्यमंत्री के नेतृत्व में शासन प्रशासन की दृढ़ इच्छाशक्ति और आम जनता की सहभागिता से आने वाले दिनों में कुपोषण जैसी कलंकित समस्या का समूल उन्मूलन सुनिश्चित है.