पुरुषोत्तम पात्रा,गरियाबंद. जिले के बुरजाबहाल गांव की महिलाओं ने 8 महीने की कड़ी मशक्कत के बाद गांव की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल डाली है. देवभोग थाना कभी सबसे झगडालू और संवेदनशील गांव के रुप में पहचान रखने वाला बुरजाबहाल गांव को वहां की महिलाओं एक नया रुप दे दिया है. गांव में पहले 6 महिलाओं ने ये बीड़ा उठाया पर आज 300 से ज्यादा महिलाएं गांव को नशामुक्त और स्वच्छ बनाने की मुहिम में जुटी हुई है. साथ ही अब इन महिलाओं का हौसला इतना बढ़ गया है, कि अपने गांव के आस-पास के दूसरे गांवों को भी सुधारने का बीड़ा उठाने को तैयार हो गए है.
साल भर पहले बुरजाबहाल गांव की पहचान दिनभर जुआ, सट्टा खेलना और घर-घर में शराब बनाना, जैसे तमाम अपराध के रुप में थी. आए दिन मारपीट और थाना कचहरी जाना यहां के लोगों के लिए आम बात थी, मगर बीते एक साल में यहॉ सबकुछ बदल गया है. गांव का कोई भी व्यक्ति अब ना तो जुआ सट्टा खेलता है और ना ही किसी घर में शराब बनती है. गांव में पूरी तरह अमल शांति का माहौल बना रहता है. ये सब संभव हुआ है गांव की 6 महिलाओं की कोशिश की बदौलत. अब तो इस गांव में 300 से ज्यादा महिलाएं 24 समूह बनाकर गांव को नशामुक्त औऱ स्वच्छ बनाने में लगी हुईं हैं. इसके साथ दूसरे गांव को भी सुधारने की बीड़ा उठाने को तैयार है.
देवभोग थाना प्रभारी सत्येंद्र श्याम ने महिलाओं की इस सराहनीय काम से खुश है. इनका कहना है कि बुरजाबहाल के लोगों की दिनचर्या अब बदल गई है. जुआ सट्टा खेलने वाले और दिनभर नशा करने वाले अब मेहनती हो गए है. गांव के लोग भी इन महिलाओं की समूह की सराहनीय काम की जमकर तारीफ कर रहे है.
बुरजाबहाल की इन महिलाओं ने गांव में जागरुकता फैलाने का काम तो किया ही है. साथ ही अब ये महिलाएं अजीविका के लिए भी रणनीति बनाने में लगी है. राज्य आजीविका मिशन से जुडी महिलाएं गांव पहुंचकर इन महिलाओं को मर्गदर्शन दे रही है. सभी महिलाओं ने 24 समूह बनाकर अजीविका के लिए अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया है. समूह से जुड़ी सभी महिलाओं ने अपने गांव को जल्द ही आत्मनिर्भर बनाने का दावा कर रही है.
देखिए तस्वीरे…