मनोज उपाध्याय,मुरैना। जिला पुलिस प्रशासन द्वारा अपहरण के बाद दुष्कर्म जैसे बेहद संगीन मामले में बड़ी लापरवाही बरती है। शिकायत करने पहुंचे परिजनों ने पुलिस ने 10 हजार रुपए रिश्वत ले लिए और अपराध भी दर्ज नहीं किया। गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर परिजनों को चलता कर दिया। पीडि़त युवती के परिजन महिला सेल के पहुंचे तब मामले का खुलासा हुआ। महिला सेल ने परिजन को उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।

मामला जिले के महुआ थाना के एक गांव का है। एसपी आफिस स्थित महिला सेल डीएसपी प्रियंका मिश्रा के सामने मंगलवार को यह शिकायत गुढ़ा गांव की महिला लेकर पहुंची। महिला अपनी 21 साल की पीडि़त बेटी को लेकर पहुंची थी। महिला सेल डीएसपी को पीडि़त युवती ने बताया कि 18 जनवरी को पड़ोस में रहने वाला मोनू उर्फ मनोज पुत्र रमेश शर्मा, अपने चाचा हरिओम शर्मा के साथ मिलकर अपहरण कर ले गया। पीडि़ता के अनुसार सरसों के खेत में ले जाकर मोनू ने उसके भाई-भतीजे को गोली मारने की धमकी देकर दुष्कर्म किया। इस दौरान उसका चाचा हरिओम खेत की मेढ़ पर खड़ा रहा।

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इसके बाद तीन दिन तक मुरैना में एक घर में रखा, जहां मोनू के साथ उसके चाचा हरिओम ने भी दुष्कर्म किया। पीडि़ता के भाई ने बताया कि महुआ थाना प्रभारी पीएस यादव ने 10 हजार रुपये की रिश्वत मांगी। हमने 5 हजार दिए तो लेने से इंकार कर दिया। बाद में 10 हजार दिए तब उन्होंने गुमशुदगी का मामला दर्ज किया। इसके बाद विधायक से शिकायत की तब थानेदार ने उनकी बहन को ढूंढकर लाया, लेकिन मेडिकल के नाम पर कोरोना की जांच करवा दी।

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पीडि़त परिजन का कहना है कि आरोपी उन्हें डरा धमका रहे हैं। वहीं थाने की पुलिस भी उनके साथ न्याय नहीं कर रही है। उन्होंने युवती का मेडिकल परीक्षण कराकर दुष्कर्म की धाराओं में मामला दर्ज करने की मांग की है। महिला सेल डीएसपी ने परिजन को उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।

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