रणधीर परमार,छतरपुर। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ((Pandit Dhirendra Shastri of Bageshwar Dham)) के समर्थन में किन्नर अखाड़ा (Kinnar Akhara) सामने आया है. किन्नर समाज के लोगों ने बागेश्वर धाम पहुंचकर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से मुलाकात की. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से मुलाकात कर किन्नरों ने बागेश्वर धाम और धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जमकर तारीफ की.

किन्नर अखाड़ा के सदस्यों ने बताया कि जिस तरीके से धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Shastri) पर आरोप लग रहे थे, जो कि बिल्कुल गलत है. उन्हें भगवान सद्बुद्धी दे. हम पूरे किन्नर अखाड़ा के लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का समर्थन करते हैं. पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से मुलाकात करने के लिए महाराष्ट्र, गोरखपुर, मध्यप्रदेश और बिहार के किन्नर पहुंचे थे. किन्नरों ने कहा कि हम सभी आप का समर्थन करते हैं, क्योंकि आप सनातन की अलख जगा रहे हैं.

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विवाद क्या है ?

नागपुर में भी 13 जनवरी तक उनकी कथा का आयोजन होना था, लेकिन वे वहां से 11 जनवरी को ही लौट आए. इसके बाद से ही उन्हें लेकर विवाद बढ़ता ही गया. नागपुर की अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति के संस्थापक श्याम मानव ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को सबके सामने अपनी शक्ति साबित करने की चुनौती दी थी. इस मामले पर पूरे देश में हंगामा मच गया है. अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति ने कहा कि जब बागेश्चर धाम सरकार को चमत्कार साबित करने के लिए चुनौती दी गई है तो कथा बीच में ही छोड़कर वह चले गए. 30 लाख रूपए का चैलेंज दिया गया. 

बागेश्वर महाराज ने चुनौती स्वीकार भी किया. उन्होंने कहा कि जिसे चमत्कार देखना वो बागेश्वर दरबार में आए. उन्होंने कहा कि श्याम यहां रायपुर आए, टिकट का खर्च मैं दूंगा. लेकिन वो यहां नहीं पहुंचे. कहा जाता है कि भूत, प्रेत से लेकर बीमारी तक का इलाज बाबा की कथा में होता है. बाबा के समर्थक दावा करते हैं कि बागेश्वर धाम सरकार इंसान को देखते ही उसकी हर तरह की परेशानी जान लेते हैं और उसका समाधान करते हैं. बागेश्वर धाम सरकार का कहना है कि वह लोगों की अर्जियां भगवान (बालाजी हनुमान) तक पहुंचाने का जरिया मात्र हैं. जिन्हें भगवान सुनकर समाधान देते हैं.

कौन हैं बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ?

अभी बागेश्वर धाम की बागडोर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पास है. पं. धीरेंद्र का जन्म 1996 में छतरपुर जिले के गढ़गंज गांव में हुआ था. उनका पूरा परिवार आज भी गाड़ागंज में रहता है. पं. धीरेंद्र शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग और माता का नाम सरोज गर्ग है. धीरेंद्र के छोटे भाई शालिग्राम गर्गजी महाराज हैं. वह भी बालाजी बागेश्वर धाम को समर्पित है.

पं. धीरेंद्र शास्त्री के दादा पं. भगवान दास गर्ग भी इस मंदिर के पुजारी थे. कहा जाता है कि पं. धीरेंद्र का बचपन काफी मुश्किलों में बीता. जब वे छोटे थे तो परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि एक समय का भोजन ही मिल पाता था. धीरेंद्र शास्त्री ने कम उम्र से ही बालाजी बागेश्वर धाम में पूजा करना शुरू कर दिया था. पं. धीरेंद्र शास्त्री के दादाजी ने चित्रकूट के निर्मोही अखाड़े से दीक्षा ली थी. इसके बाद वह गाड़ागंज पहुंचे थे.

बागेश्वर धाम का इतिहास क्या है ?

छतरपुर के पास एक जगह गढ़ा है. यहीं पर बागेश्वर धाम है. यहां बालाजी हनुमान जी का मंदिर है. प्रत्येक मंगलवार को बालाजी हनुमान जी के दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ती है. धीरे-धीरे लोग इस दरबार को बागेश्वर धाम सरकार के नाम से पुकारने लगे. यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना बताया जाता है. 1986 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया. 1987 के आसपास एक संत बाबा जी सेतु लाल जी महाराज यहां आए. उन्हें भगवान दास जी महाराज के नाम से भी जाना जाता था. धाम के वर्तमान प्रमुख पंडित धीरेंद्र शास्त्री, भगवान दास जी महाराज के पोते हैं.

इसके बाद 1989 के समय बाबा जी द्वारा बागेश्वर धाम में एक विशाल महायज्ञ का आयोजन किया गया. 2012 में बागेश्वर धाम की सिद्ध पीठ पर श्रद्धालुओं की समस्याओं के निवारण के लिए दरबार का शुभारंभ हुआ. इसके बाद धीरे-धीरे बागेश्वर धाम के भक्त इस दरबार से जुड़ने लगे. दावा होता है कि यहां आने वाले लोगों की समस्याओं का निवारण किया जाता है.

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