दिल्ली। देश में न्याय व्यवस्था अक्सर आलोचना का शिकार होती रहती है। अब सुप्रीम कोर्ट की जज ने ही इस पर सवाल खड़े कर दिये हैं।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस भानुमति ने शुक्रवार को आखिरी बार सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही का संचालन किया क्योंकि ये उनका आखिरी दिन था। उन्होंने अपने विदाई भाषण में कहा कि निचली अदालत से शीर्ष अदालत तक उन्होंने लगभग तीस साल तक न्यायाधीश के तौर पर काम किया है। इस दौरान उनके सामने बिना वजह मुकदमों में अवरोधों का अंबार लगा रहा। उन्होंने न्याय मिलने में देरी को लेकर अपनी पीड़ा जाहिर की।
गौरतलब है कि जस्टिस भानुमति ने निर्भया हत्याकांड में ऐतिहासिक फैसला दिया। उन्होंने इस मामले के चार दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। न्यायिक प्रक्रिया में देरी को लेकर चिंता जताते हुए जस्टिस भानुमति ने अपने पिता के साथ घटी दुर्घटना और मुआवजा मिलने में हुई देरी का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, मैंने अपने पिता को एक बस हादसे में खो दिया था। जब मैं दो साल की थी। हमें जटिल न्यायिक प्रक्रियाओंं की वजह से पैसा नहीं मिल सका। मैं खुद न्याय प्रक्रिया की खामियों की भुक्तभोगी हूं।