Supreme Court Justice Surya Kant: मैं दिल से पत्रकार हूं, मेरा काम भले जज का है। मैं हर केस की तह तक जाने की कोशिश करता हूं। ये कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत का। दरअसल एक दैनिक अखबार के साथ बातचीत में जस्टिस सूर्यकांत ने अपने कई अनछुए पहलुओं को सामने रखा। मौजूदा चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और उनके बाद होने वाले चीफ जस्टिस बीआर गवई के साथ पत्रकारों की एक शिष्टाचार मुलाकात हुई। इसमें जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने ये बातें कही। बता दें कि जस्टिस सूर्यकांत भविष्य में सुप्रीम कोर्ट के 53वें चीफ जस्टिस बन सकते हैं।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मैं भले जज हूं, मगर दिल से पत्रकार हूं। तथ्य परखकर तह में जाने का प्रयास करता हूं, ताकि वे बातें पकड़ पाऊं, जो न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग कर छिपा दी गईं। संदेह पर दस्तावेज देखता हूं। ऐसा करके पीड़ितों को न्याय दे सकते हैं। दोनों पक्षों की दलीलों का पत्रकार की तरह विश्लेषण करता हूं कि जो प्रक्रिया बताई है, सही है या नहीं? कई बार ऐसे फैक्ट निकलते हैं, जिनकी कल्पना भी नहीं कर सकते।
हाल के दिनों में कार्यपालिका और विधायिका में सुप्रीम कोर्ट पर दखल अंदाजी पर लगे आरोप पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम न्याय करते हैं। बयानबाजी या उस पर टिप्पणी जज का काम नहीं। जज की कुर्सी पर हमें सिर्फ दो पक्ष दिखते हैं, जिनका विवाद निपटाना है। हम राजनीति नहीं करते। हमारा काम संविधान द्वारा स्थापित मूल्यों को देखना है।
वहीं एक जज को कैसा होना चाहिए के सवाल पर सूर्यकांत ने कहा कि संयमित। संयम कई काम बना देता है। एक बार एक वकील चीफ जस्टिस के समक्ष तेज आवाज में जजों व वकीलों को भला-बुरा कह रहे थे। मैंने उनसे कहा, 15 मिनट जो चाहे कहें, पर फिर मेरे साथ चाय पीने चलें। इस पर वह शांत हो गया।
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