मुंबई. भाजपा के देवेंद्र फडणवीस को शपथ ग्रहण कराने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले को रद्द करने के लिए शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में विधायकों की आगे और खरीद फरोख्त से बचने के लिए फौरन शक्ति परीक्षण कराने की भी मांग की गई. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत प्रभाव से रविवार सुबह 11 बजे सुनवाई की लेकिन अभी कोई फैसला नहीं दिया है. अगली सुनवाई सोमवार सुबह 10.30 बजे होगी.
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर को घोषित हुए थे. बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला था लेकिन शिवसेना के सीएम पद पर अड़े रहने की वजह से सरकार गठन पर तकरार बनी रही. इसके बाद बीजेपी ने शिवसेना का साथ छोड़ा और शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी का समर्थन प्राप्त करने के लिए बातचीत का दौर शुरू किया. यह प्रयास कामयाब हुआ और तीनों पार्टियों की मिली-जुली सरकार बनना लगभग तय था कि शनिवार को महाराष्ट्र की राजनीति ने एक बड़ा नाटकीय मोड़ ले लिया.
एनसीपी नेता अजीत पवार और उनके कुछ विधायकों के समर्थन से देवेन्द्र फडणवीस ने शनिवार को सुबह 8 बजे राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने फडणवीस सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 30 नवंबर तक का वक्त दिया है. कांग्रेस, शिवसेना और राकांपा को आशंका है कि इस दौरान विधायकों की खरीद—फरोख्त की जा सकती है. लिहाजा तीनों दलों ने सुप्रीम कोर्ट से 24 घंटे के भीतर तुरंत शक्ति परीक्षण कराने का भी अनुरोध किया, ताकि विधायकों की खरीद-फरोख्त को और महा विकास आघाडी (एमवीए) को मिलाकर किसी भी तरह से सत्ता हासिल करने के अवैध प्रयासों को रोका जा सके.
शिवसेना नेता संजय राउत ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भाजपा के देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में नई सरकार के गठन की इजाजत दी. सरकार को बहुमत साबित करने के लिए दी गई 30 नवंबर की समयसीमा केवल इसलिए दी गई ताकि दल बदल कराया जा सके.
तीनों पार्टियों द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि भाजपा की अल्पमत वाली सरकार बनवाने का राज्यपाल का कार्य अवैध और असंवैधानिक है. शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस गठबंधन के पास 288 सदस्यीय विधानसभा में संयुक्त रूप से स्पष्ट बहुमत है और यह स्पष्ट है कि भाजपा के पास 144 विधायकों का जरूरी आंकड़ा नहीं है. फडणवीस को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किए जाने के फैसले को रद्द करने की मांग करते हुए याचिका में कहा गया कि यह असंवैधानिक, मनमाना और अवैध और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है.
सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना, NCP और कांग्रेस की याचिका पर जस्टिस एनवी रमन, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने शिवसेना की ओर से प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने मंत्रिमंडल की बैठक के बिना राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाए जाने को अजीब बताया. सिब्बल ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार ने अजीब तरीके से शपथ ली. राज्यपाल दिल्ली से मिल रहे सीधे निर्देशों पर काम कर रहे थे. यदि फडणवीस के पास संख्या बल है, तो उन्हें सदन के पटल पर यह साबित करने दें, अन्यथा महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए हमारे पास संख्या बल है. इससे पहले सुबह शिवसेना नेता संजय राउत ने दावा किया कि शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन के पास महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 165 विधायकों का समर्थन है.