नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश की रक्षा ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड में चार धाम ऑल वेदर रोड को चौड़ा करने को अनुमति दे दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने परियोजना के दौरान पर्यावरण से जुड़े पहलुओं की निगरानी के लिए पूर्व जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता में एक कमेटी के गठन किया है, जो सीधे सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट देगी.

इस परियोजना के तहत उत्तराखंड के 4 पवित्र तीर्थ स्थानों केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को जोड़ने वाली लगभग 900 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई जा रही है. इसका बजट लगभग 12 हज़ार करोड़ रुपए का है. सामान्य नागरिकों को हर मौसम में यातायात की सुविधा देने के साथ ही यह प्रोजेक्ट रक्षा आवश्यकताओं के लिए भी बहुत अहम है.

सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2020 में इस परियोजना को 5.5 मीटर चौड़ाई की अनुमति दी थी. लेकिन केंद्र ने इसे 10 मीटर तक रखने की अधिसूचना जारी कर दी. साथ ही इसकी मंजूरी के लिए उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि सीमा के दूसरी तरफ चीन ने चौड़ी सड़कें बना रखी है. युद्ध की स्थिति में भारत को सेना को जल्द पहुंचाने के लिए चौड़ी सड़क की जरूरत है.

केंद्र ने साथ ही यह भी दलील दी कि सड़क चौड़ी न होने से ब्रह्मोस जैसी बड़ी मिसाइल की सीमा पर तैनाती असंभव होगी. मामले के मूल याचिकाकर्ता एनजीओ सिटीजंस फ़ॉर ग्रीन दून ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि सड़क को डबल लेन बनाना और 10 मीटर तक चौड़ा करना हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण को स्थायी नुकसान पहुंचाएगा.

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सुनवाई के दौरान केंद्र ने यही दलील दी थी कि 1962 की लड़ाई में फौज और हथियार को सही समय पर सीमा तक न भेज पाना हार की बड़ी वजह रहा. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने केंद्र की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा है कि देश की रक्षा आवश्यकताओं के अनुसार जारी की गई केंद्र की अधिसूचना सही है. हालांकि, कोर्ट ने पर्यावरण को नुकसान को लेकर पहले गठित उच्चस्तरीय कमेटी की रिपोर्ट को भी रिकॉर्ड पर लिया है.

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